Pandit for Rajashyamala Puja: Cost, Vidhi & Benefits
Rajashyamala Puja is the Hindu ritual among the puja performed to appease Goddess Rajashayamala Devi who is a very powerful…
12 Jyotirlinga Of Lord Shiva: क्या आप सभी भगवान शिव के चमत्कारी 12 ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) के बारे में जानते है? आज हम इस लेख के माध्यम से माध्यम से भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) के बारे में बताएँगे कि यह किस स्थान पर है तथा यहाँ पर कैसे पहुंचा जा सकता है|
ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) शब्द में ‘ज्योति’ का अर्थ – प्रकाश या चमक तथा ‘लिंग’ का अर्थ – किसी प्रकार के चिन्ह या प्रतीक माना जाता है| ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) को भगवान शंकर के दीप्तीमान का प्रतीक माना जाता है| सम्पूर्ण भारत देश में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) का बहुत ही बड़ा महत्व माना गया है|
पौराणिक कथा के अनुसार माना जाता है कि यह जो 12 ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) मौजूद है| इनमे ज्योति के रूप में स्वयं भगवान शिव ही विद्यमान है| आपको बता दे कि महर्षि वेदव्यास जी के द्वारा ग्रन्थ शिवपुराण में बताया गया है कि भारत और नेपाल देश में कुल 64 ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) मंदिरों का उल्लेख किया गया है| जिनमे से 12 ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) सबसे पवित्र माने जाते है| जिन्हें महा ज्योतिर्लिंगम (महा ज्योतिर्लिंग) के नाम से भी जाना जाता है|
आपको बता दें कि भारत देश में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में रामेश्वरम तक फैला हुआ है| इसके अलावा हम बात कर रहे 99Pandit के बारे में| 99Pandit एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफार्म है, जिसकी सहायता से आप हिन्दू धर्म से सम्बंधित किसी भी पूजा के लिए ऑनलाइन पंडित जी को बुक कर सकते है| आप रुद्राभिषेक पूजा के लिए, नवग्रह शांति पूजा के लिए तथा काल सर्प दोष पूजा के लिए पंडित बुक कर सकते है|
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारंममलेश्वरम्॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥
एतानि ज्योतिर्लिंगनि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥
अब हम इस लेख में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) की कथा के बारे में जानेंगे| विष्णु पुराण में ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) की कथा का पूर्ण रूप से उल्लेख मिलता है| माना जाता है कि एक बार भगवान विष्णु तथा भगवान ब्रह्मा जी इस सम्पूर्ण सृष्टि की सर्वोच्चता पर बहस कर रहे थे| उस समय भगवान शिव ने प्रकाश के एक स्तंभ का निर्माण किया तथा इसके पश्चात भगवान शंकर ने भगवान विष्णु एवं भगवान ब्रह्मा जी को उस स्तंभ का अंत खोजने के लिए कहा| तब भगवान विष्णु तथा ब्रह्मा जी ऊपर तथा नीचे की ओर अपने रास्तों को विभाजित करके अलग- अलग रास्तों पर उस स्तंभ के अंत को खोजने के लिए गये|
भगवान ब्रह्मा जी ने भगवान शंकर से झूठ बोला कि उन्हें उस स्तंभ का अंत मिल चुका है| वही दूसरी ओर भगवान विष्णु ने बहुत प्रयास करने के बाद हार मान ली| भगवान शिव को यह ज्ञात हो गया कि ब्रह्मा जी उनसे झूठ बोला था| इस बात से क्रोधित होकर भगवान शिव ने ब्रह्मा जी श्राप दे दिया कि आप भले ही इस सृष्टि के निर्माता है किन्तु सम्पूर्ण सृष्टि में आपकी पूजा नहीं की जाएगी| माना जाता है कि भगवान शिव के द्वारा उत्पन्न उस स्तम्भ से ही 12 ज्योतिर्लिंग (12 Jyotirlinga) की उत्पत्ति मानी जाती है|
क्र. स. | ज्योतिर्लिंग के नाम | स्थान | राज्य |
1. | सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) | वेरावल, सोमनाथ | गुजरात |
2. | मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) | श्रीशैलम | आंध्र प्रदेश |
3. | महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) | उज्जैन | मध्यप्रदेश |
4. | ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) | खंडवा | मध्यप्रदेश |
5. | बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) | देवघर | झारखंड |
6. | भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) | खेड़ तालुका, पुणे | महाराष्ट्र |
7. | रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) | रामेश्वरम | तमिलनाडु |
8. | नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) | द्वारका | गुजरात |
9. | काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) | वाराणसी | उत्तर प्रदेश |
10. | त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) | नासिक | महाराष्ट्र |
11. | केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) | केदारनाथ | उत्तराखंड |
12. | घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) | औरंगाबाद | महाराष्ट्र |
भारत के 12 ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) में सबसे प्रसिद्ध तथा सबसे प्रथम ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) सोमनाथ मंदिर का ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) को माना जाता है| प्राचीन कथाओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण वास्तुकला की चालुक्य शैली से हुआ था| इस प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर को काठियावाड़ जिले में वेरावल के पास गुजरात राज्य में भारत देश के पश्चिमी कोने में अरब सागर के तट पर बनाया गया है| यह सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) मंदिर भारत देश के सभी ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) मंदिरों में से सबसे पवित्र माना जाता है| प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि के त्यौहार पर यहाँ हजारों भक्त भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते है|
पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि इस सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) मंदिर का निर्माण चंद्रमा (सोमदेव) ने इस मंदिर का निर्माण शुद्ध सोने से ही करवाया था और रावण ने इस मंदिर का चांदी के नवीनीकरण किया था| इसके पश्चात भगवान श्री कृष्ण ने चन्दन से तथा अंत में भीम देव ने इस सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) मंदिर को पत्थर से बनाया था| माना जाता है कि इस मंदिर के सोने को लूटने के लिए तुर्क वंश के शासक महमूद गजनी ने इस मंदिर पर बहुत बार आक्रमण किया था|
इनके द्वारा किये गए आक्रमणों की वजह से मंदिर की सम्पूर्ण संपत्ति छीन ली गयी| जिसके पश्चात 1947 में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इस सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार किया था| तथा उस समय के राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने पुनः इस मंदिर में ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) की स्थापना की|
सोमनाथ मंदिर रोड, वेरावल (गुजरात) – 362268
फ़ोन – 09428214823
यह मंदिर प्रतिदिन सुबह 06:00 बजे से रात्रि में 09:00 बजे तक खुलता है| सोमनाथ मंदिर में आरती सुबह 07:00 बजे, दोपहर 12:00 बजे तथा शाम को 07:00 बजे होती है| इस मंदिर का सबसे प्रसिद्ध लाइट एंड साउंड शो – “जय सोमनाथ” प्रतिदिन शाम को 08:00 बजे से रात 09:00 बजे के बीच में ही होती है|
इस मंदिर के सबसे निकट वेरावल रेलवे स्टेशन है जो कि भारत देश के लगभग सभी प्रमुख रेलवे स्टेशनो से जुड़ा हुआ है| इसलिए आपको यहाँ के लिए ट्रेन आसानी से मिल जाएगी| सोमनाथ मंदिर से इस रेलवे स्टेशन की दूरी करीब 5 किमी है| जिसके लिए आपको यहाँ से कई सारे निजी साधन बस या टैक्सी की सुविधा मिल जाएगी|
यह मंदिर आंध्र प्रदेश के दक्षिणी भाग में कृष्णा नदी के तट पर स्थित माना जाता है| यह मल्लिकार्जुन मंदिर 12 ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) में दूसरा ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) माना जाता है| इस मंदिर को श्री भ्रामराम्बा मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) मंदिर के नाम से भी जानता है| शिवपुराण के अनुसार बताया गया है कि मल्लिकार्जुन भगवान शिव तथा माता पार्वती का ही रूप है| जिसमे मल्लिक शब्द माता पार्वती तथा अर्जुन भगवान शिव को संबोधित करता है| इस मंदिर का निर्माण 1234 ईस्वी में होयसल के राजा वर नरसिम्हा जी के द्वारा करवाया गया था|
इस मंदिर को बनाने के लिए वास्तुकला की द्रविड़ शैली में बनाया गया है| मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) मंदिर में सुन्दर वास्तुकला की नक्काशी से चिन्हित है| बताया गया है कि यह मंदिर पूरे 2 हेक्टेयर में फैला हुआ है तथा इस मंदिर में चार गेटवे टावर भी स्थित है| जिन्हें गोपुरम के नाम से भी जाना जाता है| इस मंदिर के परिसर में बहुत सारे कई सारे हॉल तथा मंडप भी उपस्थित है|
श्रीशैलम, आंध्र प्रदेश – 528101
फ़ोन – 083339-01351
यह मंदिर प्रतिदिन सुबह 04:30 बजे से रात 10 बजे तक खुला रहता है| तथा इस मंदिर में दर्शन का समय सुबह 06:30 बजे से दोपहर 01:00 बजे तक और शाम 06:30 बजे से रात्रि 09:00 बजे है|
इस स्थान से सबसे निकट रेलवे स्टेशन मरकापुर है| आपको सभी प्रमुख शहरों से यहाँ के लिए ट्रेन आसानी से मिल जाएंगी| यह रेलवे स्टेशन मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) मंदिर से लगभग 85 किमी दूर स्थित है|
यदि आप हवाई जहाज से यहाँ आना चाहते है तो आपको इस मंदिर के सबसे पास हवाई अड्डा हैदराबाद में स्थित राजीव गांधी हवाई अड्डा है लेकिन यह मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) मंदिर से 200 किमी दूर स्थित है| यहाँ आने के पश्चात आपको टैक्सी या बस की सहायता से मल्लिकार्जुन मंदिर जाना होगा|
भगवान महादेव का सबसे प्रसिद्ध मंदिर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) मंदिर है| यह मंदिर उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर स्थित है| महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) साथ मुक्ति स्थलों में से एक है| माना जाता है कि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) ऐसा स्थान है जो मनुष्य को अनंत काल तक मुक्त कर सकता है| यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसमे स्वयंभू ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) है| जिसकी ऊर्जा परिष्कृत है| महाकाल दो शब्दों से मिलकर बना होता है| जिसमे ‘महा का अर्थ भगवान विष्णु’ का गुण तथा ‘काल का अर्थ समय’ से मिलकर बना होता है|
भगवान शिव का गुण काल से भी बड़ा माना जाता है| इस मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण केंद्र है, इस मंदिर में होने वाली भस्मा – आरती है जो सुबह किया जाने वाला सबसे पहला अनुष्ठान माना जाता है| इस भस्मा – आरती में भगवान शिव को चिता की राख से स्नान करवाया जाता है| पूरे भारत देश से सावन के महीने में तथा नाग पंचमी के समय महाकालेश्वर में भक्तों की बहुत ही बड़ी भीड़ उमड़ती है|
उज्जैन, मध्य प्रदेश
फोन – 0734 255 0563
महाकाल का यह मंदिर सुबह 04:00 बजे से रात्रि 11:00 बजे तक खुलता है| इस मंदिर में दर्शन 24 घंटे में चार बार होते है| सबसे पहले दर्शन सुबह 08:00 बजे से 10:00 बजे तक, इसके बाद 10:30 बजे से शाम 05:00 बजे तक, फिर शाम 06:00 बजे से शाम 07:00 बजे तक तथा अंत में रात 08:00 बजे से लेकर रात 11:00 बजे तक होता है|
महाकाल के मंदिर से निकट उज्जैन रेलवे स्टेशन है जो कि मंदिर सिर्फ 2 किमी की दूरी पर ही स्थित है| आपको उज्जैन के लिए सभी प्रमुख नगरों तथा शहरों से ट्रेन अवश्य मिल जाएगी| यदि आप हवाई जहाज से आना चाहते है तो आपको अपने शहर से अहिल्या बाई होल्कर हवाई अड्डे के लिए फ्लाइट लेनी होगी जो कि इंदौर में स्थित है| यह हवाई अड्डा महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) मंदिर से लगभग 57 किमी की दुरी पर स्थित है| यहाँ से आपको मंदिर तक जाने के लिए टैक्सी किराए पर लेनी होगी|
इसी के साथ हम आपको यह बता दे कि यदि आप उज्जैन में काल सर्प दोष पूजा, रुद्राभिषेक पूजा आदि कोई भी धार्मिक पूजा करवाना चाहते है तो 99Pandit आपके लिए एक बहुत ही अच्छा विकल्प होगा| 99Pandit एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफार्म है जो आपको पंडित बुकिंग की सर्वश्रेष्ठ सेवा प्रदान करता है| जहाँ आप घर बैठे मुहूर्त के हिसाब से अपना पंडित ऑनलाइन आसानी से बुक कर सकते हो|
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Omkareshwar Jyotirlinga) भी एक है| यह ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) नर्मदा नदी में शिवपुरी नामक एक द्वीप पर स्थित किया गया है| पुराणों में ओंकारेश्वर शब्द का अर्थ – ओम ध्वनि के भगवान तथा ओंकार के भगवान के रूप में माना जाता है| इस तीन मंजिला मंदिर में स्थित खम्भों का निर्माण बहुत ही अच्छे गुणवत्ता वाले ग्रेनाइट पत्थर से बनाया गया है| भगवान शंकर के इस ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) के बारे में लोगों का यह मानना है कि जिस समय देवताओं तथा दानवों के बीच युद्ध हुआ था|
उस समय सभी देवता भगवान शिव के पास सहायता मांगने के लिए गए| तब भगवान शिव ने ओंकारेश्वर अवतार में प्रकट हुए तथा देवताओं को इस युद्ध में विजय दिलाने में सहायता की|
मार्कंडेय आश्रम रोड, ओंकारेश्वर, मध्य प्रदेश – 450554
यह मंदिर सप्ताह के सातों दिन प्रात काल: 05:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक खुला रहता है| इस मंदिर में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) के दर्शन करने का समय प्रात काल: 05:30 बजे से दोपहर 12:20 तक तथा शाम 04:00 बजे से रात्रि 08:30 बजे तक रहता है|
भगवान शिव के इस ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) मंदिर से सबसे निकट रेलवे स्टेशन खंडवा रेलवे स्टेशन है, जो की ओंकारेश्वर मंदिर से 70 किमी की दूरी पर स्थित है| इसके अलावा यदि आप की शहर से सीधे खंडवा के लिए कोई ट्रेन नहीं है तो इस परिस्थिति में आपको इंदौर या उज्जैन के लिए ट्रेन लेनी है तथा इसके पश्चात आपको यहाँ से कई सारी रोडवेज बस या निजी बस मिल जाएगी जो कि आपको ओंकारेश्वर तक पंहुचा देगी| यदि आप यहाँ से अधिक दूरी एवं फ्लाइट की सहायता से ओंकारेश्वर आना चाहते है तो
आपको अपने शहर से अहिल्या बाई होल्कर हवाई अड्डे के लिए फ्लाइट लेनी होगी जो कि इंदौर में स्थित है| यह हवाई अड्डा ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) मंदिर से लगभग 84 किमी की दूरी पर स्थित है| यहाँ से आपको मंदिर तक जाने के लिए टैक्सी किराए पर लेनी होगी|
यह मंदिर झारखंड राज्य के संताल परागना क्षेत्र के देवधर नामक गाँव में स्थित है| बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Baidyanath Jyotirlinga) मंदिर को वैद्यनाथ या बैजनाथ के नाम से भी जाना जाता है| यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंग (12 Jyotirlinga) मंदिरों में से सबसे प्रसिद्ध स्थान माना गया है| इस स्थान को बाबा धाम के नाम से भी जाना जाता है| सभी ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) की अपेक्षा इस मंदिर को ज्यादा महत्व इस वजह से दिया जाता है क्योंकि इस मंदिर को भारत देश 51 शक्तिपीठों में से एक माना गया है|
माना जाता है कि इस मंदिर परिसर में बाबा बैद्यनाथ का मंदिर तथा इसके अलावा अन्य देवी – देवताओं के 21 मंदिर स्थित है| माना जाता है कि इस मंदिर पुनर्निर्माण गिद्दोर के महाराजा के पूर्वज राजा पूरण मल जी के द्वारा किया गया था| इस परिसर में जिस स्थान पर बाबा बैद्यनाथ का मंदिर है| उस स्थान को मंदिर का केंद्र माना जाता है अर्थात इस बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) मंदिर को परिसर के बिल्कुल केंद्र बिंदु पर बनाया गया है|
अब हम आपको बताएँगे 99Pandit के ऑनलाइन प्लेटफार्म के बारे में, जिसकी सहायता से आप हिन्दू धर्म से संबंधित किसी भी प्रकार की पूजा के लिए ऑनलाइन पंडित जी को बुक कर सकते है| 99Pandit आपको अनुभवी पंडित प्रदान करते है| जिससे आपको पूजा के समय धार्मिक आनंद की अनुभूति हो|
शिवगंगा गली, देवघर, झारखंड 814 112
यह मंदिर पूरे सप्ताह भर सुबह 04:00 बजे से लेकर दोपहर 03:30 बजे तक तथा शाम 06:00 बजे से रात्रि में 09:00 बजे तक खुला रहता है| इसके अलावा विशेष धार्मिक अवसरों जैसे महाशिवरात्रि तथा सावन के समय बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) मंदिर में दर्शन के समय को बढ़ा दिया जाता है|
बाबा बैद्यनाथ के धाम से सबसे निकट रेलवे स्टेशन जसीडिह जंक्शन (हावड़ा – पटना – नई दिल्ली रेल मार्ग) है| जो बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) मंदिर से लगभग 7 किमी की दूरी पर स्थित है| आपको बता दे कि देवघर रेलवे स्टेशन और बैद्यनाथ धाम के स्टेशन दोनों ही अन्य स्थानीय रेलवे स्टेशन है|
इस मंदिर से सबसे निकटतम हवाई अड्डा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, देवघर है जो कि बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) मंदिर से 4 किमी की दूरी पर स्थित है|
यह मंदिर पुणे, महाराष्ट्र के सह्याद्री नामक क्षेत्र तथा भीमा नदी के तट पर स्थित है| भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) मंदिर को इस नदी का स्रोत माना जाता है| द्वादश ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) स्तोत्रम के अनुसार भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) 12 ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) में से छठा ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) है| इस मंदिर की वास्तुकला मराठा शैली से ली गयी है| यह मंदिर ना केवल अपना धार्मिक महत्व दर्शाता है बल्कि साथ अपने शानदार दृश्य के माध्यम से लोगों का ध्यान भी अपनी ओर आकर्षित करता है| पौराणिक कथाओं के अनुसार इस भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) मंदिर का निर्माण 18 वी शताब्दी में नाना फडणवीस के द्वारा करवाया गया था|
यह मंदिर अपनी नागर वास्तुकला शैली में राजस्थानी तथा गुजराती दोनों संस्कृतियों का समावेश है| इस मंदिर की बाहरी दीवारे कृष्ण लीला, शिव लीला, महाभारत तथा रामायण के दृश्य को दर्शाती है| महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर इस भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) मंदिर में हजारों की संख्या में शिव भक्त उस पवित्र ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) के दर्शन के लिए आते है| यह मंदिर भारत देश के सबसे लोकप्रिय ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) मंदिरों में से एक माना जाता है|
भीमाशंकर मंदिर, खेड़, जिला पुणे, महाराष्ट्र 410509
फोन – +91 9403726339
मंदिर में दर्शन की शुरुआत सुबह 05:00 बजे से हो जाती है तथा इसका समापन 09:30 तक हो जाता है| आपकी जानकारी के लिए बता दे कि दोपहर के समय मध्याह्न की आरती के समय 45 मिनट के लिए दर्शन बंद कर दिए जाते है|
भीमाशंकर मंदिर के सबसे पास रेलवे स्टेशन कर्जत जंक्शन है जो कि मंदिर से 147 किमी की दूरी पर है| यहाँ से आपको मंदिर तक जाने के लिए टैक्सी किराए पर लेनी होगी| इसके अलावा सबसे नजदीकी हवाई अड्डा पुणे हवाई अड्डा है| जिसकी मंदिर से दूरी लगभग 105 किमी है|
यह मंदिर दक्षिणी क्षेत्र में तमिलनाडु के सेतु पर रामेश्वरम द्वीप पर स्थित है| माना जाता है कि यह मंदिर चारों ओर समुन्द्र से घिरा हुआ है| इस मंदिर का गलियारा भारत में स्थित सभी मंदिर के गालियारों में से सबसे बड़ा माना जाता है| इस मंदिर के गालियारों को सुन्दर वास्तुकला से सजाया गया है| यह ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) रामायण कथा तथा भगवान श्री राम की लंका विजय वापसी के साथ जुड़ा हुआ है| पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का विस्तार पांड्य राजवंश के द्वारा 12 वी शताब्दी में किया गया था|
रामेश्वरम, तमिलनाडु 623526
इस मंदिर को प्रतिदिन भक्तों के दर्शन के लिए दो पालियों में खोला जाता है, जो सुबह 05:00 बजे से दोपहर 01:00 बजे तक और दोपहर 03:00 बजे से रात्रि में 09:00 बजे तक खुला रहता है| इस मंदिर में दर्शन का समय रात्रि 08:00 बजे तक ही है|
इस मंदिर के सबसे निकट रेलवे स्टेशन रामेश्वरम ही है| जिसकी दूरी मंदिर से 1.5 किमी है| यह रेलवे स्टेशन चेन्नई सहित कई दक्षिणी राज्यों से भी जुड़ा हुआ है| इसके अलावा यदि बात करे हवाई अड्डे की तो इस मंदिर के सबसे निकट हवाई अड्डा मदुरै है जो की इस मंदिर से 173 किमी दूर स्थित है| यहाँ से आपको मंदिर तक जाने के लिए टैक्सी किराए पर लेनी होगी|
यह मंदिर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र तट पर गौमती द्वारका तथा बैत द्वारका के बीच मार्ग पर स्थित है| इस नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) मंदिर को नागनाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है| माना जाता है कि इस मंदिर को गुलाबी रंग के पत्थरों की सहायता से बनाया गया था| इस स्थान पर भगवान शंकर की 25 फीट ऊंची मूर्ति, बहुत ही बड़े क्षेत्र में फैला हुआ बगीचा तथा नीला अरब सागर यहाँ आने वाले लोगों अपनी ओर आकर्षित करता है| नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) को भारत देश के सबसे शक्तिशाली ज्योतिलिंग में से एक माना जाता है| इस ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) को सभी प्रकार के संरक्षण का प्रतीक माना जाता है|
दारुकवनम, गुजरात 361345
इस मंदिर को भी प्रतिदिन भक्तों के दर्शन के लिए दो पालियों में खोला जाता है, जो की सुबह 6 बजे से दर्शन के लिए खोल दिया जाता है तथा दोपहर 12.30 बजे दर्शन के पश्चात मंदी के द्वार बंद कर दिए जाते है| सुबह के समय भक्त भगवान शिव को दूध अर्पित करते है| इसके पश्चात पुनः मंदिर के द्वार शाम 5 बजे से खुलते है तथा 9.30 बजे तक खुले ही रहते है|
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) मंदिर से सबसे निकट रेलवे स्टेशन द्वारका रेलवे स्टेशन ही है, जिसकी दूरी मंदिर से लगभग 16 किमी है| तथा इस मंदिर निकट हवाई अड्डा जामनगर हवाई अड्डा है जो कि मंदिर से 127 किमी की दुरी पर स्थित है| इसके पश्चात आप बस या टैक्सी की सहायता से मंदिर तक पहुँच सकते है|
यह काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (Kashi Viswanath Jyotirlinga) मंदिर भारत देश के सबसे धार्मिक तथा पूजनीय स्थान काशी में स्थित है| यह निराला शहर बनारस, वाराणसी की गलियों के बीच में स्थित है| माना जाता है इस मंदिर की जो वर्तमान संरचना है| उसका निर्माण 1780 में अहिल्या बाई होल्कर के द्वारा करवाया गया था| हाल ही 2021 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) मंदिर के परिसर से सभी अतिक्रमणों को हटा दिया था| माना जाता है कि मंदिर मीनारों पर सोने की परत चढ़ी हुई है तथा मंदिर के ऊपर सोने की छतरी बनी हुई है| मकर संक्रांति, कार्तिक पूर्णिमा, महाशिवरात्रि तथा अन्नाकूट जैसे त्योहारों के समय काशी में पूरी दुनिया भर से हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते है|
लाहौरी टोला, वाराणसी, उत्तर प्रदेश – 221001
फोन – +91 6393131608
Official Website – https://shrikashivishwanath.org/
यह मंदिर प्रतिदिन भक्तों के दर्शन के सुबह 4 बजे से सुबह 11 बजे तक तथा दोपहर 12 बजे से शाम को 7 बजे एवं रात के 9 बजे तक खुला रहता है|
इस मंदिर के सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन वाराणसी जंक्शन ही है| जिसकी दूरी मंदिर से लगभग 5 किमी है| काशी विश्वनाथ मंदिर जाने के लिए सबसे निकट हवाई अड्डा बाबतपुर में लाल बहादुर शास्त्री अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो कि इस मंदिर 25 किमी की दूरी पर स्थित है| यहाँ से आपको मंदिर तक जाने के लिए टैक्सी किराए पर लेनी होगी|
यह मंदिर महाराष्ट्र के नासिक से लगभग 30 किमी की दूर गोदावरी नदी के ब्रह्मगिरी नामक पर्वत पर स्थित है| इस त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) मंदिर में एक कुसावर्त कुंड स्थित है| जिसका निर्माण श्रीमंत सरदार रावसाहेब पारनेकर ने करवाया था, जिन्हें इंदौर शहर का फडणवीस माना जाता है| इस मंदिर को गोदावरी नदी का स्त्रोत माना जाता है| गोदावरी नदी को गौतमी गंगा के नाम से भी जाना जाता है| यह दक्षिण भारत की सबसे पवित्र नदी मानी जाती है| यह शहर हिन्दू धर्म के लोगों के लिए बहुत ही बड़ा धार्मिक महत्व रखता है क्योंकि यह उन चार शहरों में से एक है जो हर 12 साल में कुंभ के मेले का आयोजन करता है|
माना जाता है कि यहाँ स्थित ज्योतिर्लिंग के तीन मुख है जो भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु तथा भगवान रूद्र के अवतार है| इस स्थान की सुन्दरता मानसून के माह में अधिक उभर के नज़र आती है|
त्र्यंबकेश्वर , नासिक (महाराष्ट्र) – 422212
भगवान शिव का यह मंदिर सुबह 5.30 बजे से रात्रि 9 बजे तक भक्तों के दर्शन के लिए खुला रहता है|
इस मंदिर का सड़क मार्ग लगभग सभी प्रमुख मार्गो से जुड़ा हुआ है| त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) मंदिर नासिक से 30 किमी, मुंबई से 178 किमी, महाराष्ट्र के औरंगाबाद से 224 किमी तथा ठाणे से लगभग 157 किमी दूर स्थित है| तथा इस मंदिर नजदीकी रेलवे स्टेशन गतपुरी है| यह स्टेशन मंदिर से 28 किमी की दूरी पर स्थित है| जिसके पश्चात आपको मंदिर तक जाने के लिए टैक्सी या ऑटो किराए पर लेना होगा| इस मंदिर के निकट हवाई अड्डा नासिक हवाई अड्डा है जो मंदिर से लगभग 50 किमी दूर स्थित है| यहाँ से आपको ऑनलाइन टैक्सी बुक करनी होगी, जो आपको मंदिर तक पहुंचा देगी|
यह मन्दिर उत्तराखंड राज्य में 11,755 फीट की ऊंचाई पर मन्दाकिनी नदी के पास गढ़वाल हिमालय श्रृंखला पर स्थित है| यह भारत देश में स्थित ऐसा ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) है जो कि सबसे ऊंचाई पर स्थित है| यह मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) के साथ – साथ हिन्दू धर्म में बहुत महत्व रखने वाले चार धाम में भी शामिल है| पौराणिक कथाओं के अनुसार यह माना जाता है कि यह मंदिर करीब 3000 हज़ार साल पुराना है| इस मंदिर को अत्यधिक ठण्ड के मौसम तथा बर्फ़बारी होने के कारण सिर्फ 6 महीने तक ही खोला खोला जाता है| इसके पश्चात सर्दी की वजह से इस मंदिर को 6 महीने बंद रखा जाता है|
केदारनाथ, उत्तराखंड – 246445
फोन – 01389-222 083
यह मंदिर भक्तों के दर्शन के लिए अप्रैल से नवंबर के माह तक सुबह 4 बजे से दोपहर 12 बजे तक तथा दोपहर से 3 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है| इस मंदिर का खुलना मौसम की परिस्थितियों पर भी निर्भर करता है|
इस मंदिर के सबसे निकट रेलवे स्टेशन ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है, जो कि गौरीकुंड से लगभग 210 किमी दूर स्थित है| मंदिर तक सड़क मार्ग के द्वारा नहीं जाया जा सकता है| मंदिर तक जाने के लिए आपको गौरीकुंड से 20 किमी तक की चढ़ाई करनी पड़ती है| मंदिर तक जाने के लिए हेलीकाप्टर की सवारी भी कर सकते है|
यह घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (Grishneshwar Jyotirlinga) भारत देश के महाराष्ट्र राज्य में औरंगाबाद जिले में एलोरा की गुफाओं के निकट में ही स्थित है| यह मंदिर भारत देश में प्रसिद्ध भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) में से एक है| मान्यताओं के अनुसार यह घृष्णेश्वर मंदिर पूर्ण रूप से भगवान शंकर को समर्पित किया गया है| आपकी जानकारी के लिए बता दे कि भगवान शिव के इस घृष्णेश्वर मंदिर को यूनेस्को ने अपनी विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया हुआ है|
एलोरा, औरंगाबाद, पोस्ट – घृष्णेश्वर (महाराष्ट्र) – 431102
फोन – +91 9422714648
भक्तगणों के लिए मंदिर में भगवान शिव के दर्शन का समय प्रातकाल: सुबह 04:00 बजे से प्रारंभ होकर रात्रि में 10:00 बजे तक रहता है| कुछ ख़ास अवसर जैसे श्रावण के महीने जो कि अगस्त तथा सितंबर के महीने में आते है , में भगवान शिव के घृष्णेश्वर मंदिर में दर्शन का समय प्रातकाल: 03:00 से प्रारंभ होकर रात्रि में 11:00 बजे तक रहता है|
घृष्णेश्वर मंदिर से सबसे नजदीक हवाई अड्डा औरंगाबाद में ही है जो कि घृष्णेश्वर मंदिर से लगभग 30 किमी की दुरी पर स्थित है| इस मंदिर सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन औरंगाबाद जंक्शन ही है| इसके पश्चात आप बस या टैक्सी की सहायता से मंदिर तक पहुँच सकते है|
आज हमने इस आर्टिकल के माध्यम से भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) के बारे में काफी बातें जानी है| आज हमने 12 उन मंदिरों के बारे में जाना, जिन मंदिरों में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) मौजूद है तथा वहां तक जाने के लिए साधनों के बारे में भी बात की| हम उम्मीद करते है कि हमारे द्वारा बताई गई जानकारी से आपको कोई ना कोई मदद मिली होगी| इसके अलावा भी अगर आप किसी और पूजा के बारे में जानकारी लेना चाहते है। तो आप हमारी वेबसाइट 99Pandit पर जाकर सभी तरह की पूजा या त्योहारों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी ले सकते है|
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Q.12 ज्योतिर्लिंग के पीछे की कहानी क्या है?
A.माना जाता है कि इन 12 स्थानों पर भगवान शिव ने खुद दर्शन दिए थे|
Q.12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का क्रम क्या है?
A.सभी 12 ज्योतिर्लिंग(12 Jyotirlinga) के क्रम हैं सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, बैद्यनाथ, भीमाशंकर, रामेश्वर, नागेश्वर, विश्वनाथ, त्र्यंबकेश्वर, केदारनाथ और घृष्णेश्वर|
Q.ज्योतिर्लिंग की क्या कहानी है?
A.नर और नारायण नामक दो ऋषि जिनको भगवान श्री विष्णु का अवतार माना जाता है| उन्होंने एक बार अपनी तपस्या से भगवान शिवजी को प्रसन्न कर लिया| फिर जब भगवान शिवजी प्रकट हुए तो नर और नारायण की प्रार्थना को स्वीकार करते हुए वहीं ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) के रूप में वास करने का वचन दिया।
Q.कौन सा ज्योतिर्लिंग सबसे शक्तिशाली है?
A.नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) को भारत देश के सबसे शक्तिशाली ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) में से एक माना जाता है|
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