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Jai Jai Jai Shree Bagla Mata Chalisa Lyrics: माँ बगलामुखी चालीसा पाठ

99Pandit Ji
Last Updated:February 19, 2024

बगलामुखी चालीसा (Baglamukhi Chalisa) का पाठ माता बगलामुखी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है| बगलामुखी माता को हिन्दू धर्म की एक प्रसिद्ध देवी के रूप में जाना जाता है| बगलामुखी माता के सभी भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए बगलामुखी चालीसा (Baglamukhi Chalisa) पाठ का करते है| माता बगलामुखी का पूजन अधिकांश रूप से तंत्र-मंत्र की विद्या के लिए किया जाता है| यह बगलामुखी चालीसा (Baglamukhi Chalisa) पाठ शत्रुओं से रक्षा के लिए भी किया जाता है| बगलामुखी माता को युद्ध की देवी भी कहा जाता है| प्राचीन समय में कई सारे योद्धा युद्ध में जाने पूर्व माँ बगलामुखी की आराधना करते थे तो आइये जानते है बगलामुखी चालीसा (Baglamukhi Chalisa) लिरिक्स के बारे में |

बगलामुखी चालीसा

इसी के साथ यदि आप किसी भी आरती या चालीसा जैसे बजरंग बाण [Bajrang Baan], खाटूश्याम जी की आरती [Khatu Shyam Ji Ki Aarti], या सफला एकादशी व्रत कथा [Saphala Ekadashi Vrat Katha] आदि भिन्न-भिन्न प्रकार की आरतियाँ, चालीसा व व्रत कथा पढना चाहते है तो आप हमारी वेबसाइट 99Pandit पर विजिट कर सकते है| इसके अलावा आप हमारे ऐप 99Pandit For Users पर भी आरतियाँ व अन्य कथाओं को पढ़ सकते है| इस एप में सम्पूर्ण भगवद गीता के अध्यायों को हिंदी अर्थ सहित समझाया गया है|

बगलामुखी चालीसा पाठ हिंदी में | Baglamukhi Chalisa Lyrics in Hindi

|| बगलामुखी चालीसा ||

॥ दोहा ॥

सिर नवाइ बगलामुखी,
लिखूं चालीसा आज ॥
कृपा करहु मोपर सदा,
पूरन हो मम काज ॥

॥ चौपाई ॥

जय जय जय श्री बगला माता ।
आदिशक्ति सब जग की त्राता ॥

बगला सम तब आनन माता ।
एहि ते भयउ नाम विख्याता ॥

शशि ललाट कुण्डल छवि न्यारी ।
असतुति करहिं देव नर-नारी ॥

पीतवसन तन पर तव राजै ।
हाथहिं मुद्गर गदा विराजै ॥

तीन नयन गल चम्पक माला ।
अमित तेज प्रकटत है भाला ॥

रत्न-जटित सिंहासन सोहै ।
शोभा निरखि सकल जन मोहै ॥

आसन पीतवर्ण महारानी ।
भक्तन की तुम हो वरदानी ॥

पीताभूषण पीतहिं चन्दन ।
सुर नर नाग करत सब वन्दन ॥

एहि विधि ध्यान हृदय में राखै ।
वेद पुराण संत अस भाखै ॥

अब पूजा विधि करौं प्रकाशा ।
जाके किये होत दुख-नाशा ॥

प्रथमहिं पीत ध्वजा फहरावै ।
पीतवसन देवी पहिरावै ॥

कुंकुम अक्षत मोदक बेसन ।
अबिर गुलाल सुपारी चन्दन ॥

माल्य हरिद्रा अरु फल पाना ।
सबहिं चढ़इ धरै उर ध्याना ॥

धूप दीप कर्पूर की बाती ।
प्रेम-सहित तब करै आरती ॥

अस्तुति करै हाथ दोउ जोरे ।
पुरवहु मातु मनोरथ मोरे ॥

मातु भगति तब सब सुख खानी ।
करहुं कृपा मोपर जनजानी ॥

त्रिविध ताप सब दुख नशावहु ।
तिमिर मिटाकर ज्ञान बढ़ावहु ॥

बार-बार मैं बिनवहुं तोहीं ।
अविरल भगति ज्ञान दो मोहीं ॥

पूजनांत में हवन करावै ।
सा नर मनवांछित फल पावै ॥

सर्षप होम करै जो कोई ।
ताके वश सचराचर होई ॥

तिल तण्डुल संग क्षीर मिरावै ।
भक्ति प्रेम से हवन करावै ॥

दुख दरिद्र व्यापै नहिं सोई ।
निश्चय सुख-सम्पत्ति सब होई ॥

फूल अशोक हवन जो करई ।
ताके गृह सुख-सम्पत्ति भरई ॥

फल सेमर का होम करीजै ।
निश्चय वाको रिपु सब छीजै ॥

गुग्गुल घृत होमै जो कोई ।
तेहि के वश में राजा होई ॥

गुग्गुल तिल संग होम करावै ।
ताको सकल बंध कट जावै ॥

बीलाक्षर का पाठ जो करहीं ।
बीज मंत्र तुम्हरो उच्चरहीं ॥

एक मास निशि जो कर जापा ।
तेहि कर मिटत सकल संतापा ॥

घर की शुद्ध भूमि जहं होई ।
साध्का जाप करै तहं सोई ॥

सेइ इच्छित फल निश्चय पावै ।
यामै नहिं कदु संशय लावै ॥

अथवा तीर नदी के जाई ।
साधक जाप करै मन लाई ॥

दस सहस्र जप करै जो कोई ।
सक काज तेहि कर सिधि होई ॥

जाप करै जो लक्षहिं बारा ।
ताकर होय सुयशविस्तारा ॥

जो तव नाम जपै मन लाई ।
अल्पकाल महं रिपुहिं नसाई ॥

सप्तरात्रि जो पापहिं नामा ।
वाको पूरन हो सब कामा ॥

नव दिन जाप करे जो कोई ।
व्याधि रहित ताकर तन होई ॥

ध्यान करै जो बन्ध्या नारी ।
पावै पुत्रादिक फल चारी ॥

प्रातः सायं अरु मध्याना ।
धरे ध्यान होवैकल्याना ॥

कहं लगि महिमा कहौं तिहारी ।
नाम सदा शुभ मंगलकारी ॥

पाठ करै जो नित्या चालीसा ।
तेहि पर कृपा करहिं गौरीशा ॥

॥ दोहा ॥

सन्तशरण को तनय हूं,
कुलपति मिश्र सुनाम ।
हरिद्वार मण्डल बसूं ,
धाम हरिपुर ग्राम ॥

उन्नीस सौ पिचानबे सन् की,
श्रावण शुक्ला मास ।
चालीसा रचना कियौ,
तव चरणन को दास ॥

बगलामुखी चालीसा

Baglamukhi Chalisa Path Lyrics in English | जय जय जय श्री बगला माता

|| Baglamukhi Chalisa ||

॥ Doha ॥

Sir navaai bagalamukhi,
Likhu chalisa aaj.
Kripa karhu mopar sada,
Puran ho mam kaaj.

॥ Chaupai ॥

Jay jay jay shri bagla mata,
Aadishakti sab jag ki traata.

Bagla sam tab aanan mata,
Ehi te bhayau naam vikhyata.

Shashi lalat kundal chhavi nyaari,
Asatuti karhin dev nar-naari.

Peetavasan tan par tav raajai,
Haathhin mudgar gada virajai.

Teen nayan gal champak maala,
Amit tej prakat hai bhaala.

Ratn-jatit sinhasan sohai,
Shobha nirakhi sakal jan mohai.

Aasan peetvarn maharani,
Bhaktan ki tum ho vardani.

Peetabhooshan peetahin Chandan,
Sur nar naag karat sab vandan.

Ehi vidhi dhyan hriday mein rakhe,
Ved puran sant as bhakhe.

Ab pooja vidhi karun prakasha,
Jaake kiye hot dukh-naasha.

Prathamhin peet Dhvaja fahravai,
Peetavasan devi pahiravai.

Kunkum akshat modak besan,
Abir gulaal supari chandan.

Malya haridra aru phal paana,
Sabahin chadhai dharai ur dhyaana.

Dhoop deep karpoor ki baati,
Prem-sahit tab karai aarti.

Astuti karai haath dou jore,
Purvahu matu manorath more.

Matu bhagati tab sab sukh khani,
Karhun kripa mopar jan jaani.

Trividh taap sab dukh nashaavahu,
Timir mitaakar gyaan badhaavahu.

Bar-bar main binavahun tohi,
Aviral bhagati gyaan do mohee.

Poojanaant mein havan karaavai,
Saa nar manovaanchhit phal paavai.

Sarshap hom Karai jo koi,
Taake vash Sacharachar hoi.

Til tandul sang ksheer miraavai,
Bhakti prem se havan karaavai.

Dukh daridra vyaapai nahin soi,
Nishchay sukh-sampatti sab hoi.

Phool ashok havan jo karai,
Taake grih sukh-sampatti bharai.

Phal semar ka hom karijai,
Nishchay vaako ripu sab chhijai.

Guggul ghrit homai jo koi,
Te hi ke vash mein raaja hoi.

Guggul til sang hom karaavai,
Taako sakal bandh kat jaavai.

Beelaakshar ka paath jo karahi,
Beej mantra tumharo uchcharahi.

Ek maas nisi jo kar jaapa,
Te hi kar mitat sakal santaapa.

Ghar ki shuddh bhoomi jah hoee,
Saadhka jaap karai tah soee.

Sei ichhit phal nishchay paavai,
Yaamai nahin kadu sanshay laavai.

Athavaa teer nadi ke jaai,
Saadhak jaap karai man laai.

Das sahasra jap karai jo koi,
Sak kaaj tehi kar sidhi hoi.

Jaap karai jo lakhahin baara,
Taakar hoy suyashvistaara.

Jo tav naam japai man laai,
Alpakaal mahan ripuhin nasai.

Saptaraatri jo paapahin naama,
Vaako pooran ho sab kaama.

Nav din jaap kare jo koi,
Vyaadhi rahit taakar tan hoi.

Dhyaan karai jo bandhya naari,
Paavai putraadik phal chaari.

Pratah saayam aru madhyaana,
Dhare dhyaan hovaikalyaana.

Kaham lagi mahima kahoun tihaari,
Naam sada shubh mangalkaari.

Paath karai jo nitya chalisa,
Te hi par kripa karahin gaurisha.

॥ Doha ॥

Santasharan ko tanay hoon,
Kulpati mishra sunaam.
Haridwar mandal basoon,
Dhaam haripur gram.

Unnis sau pichaanbe san ki,
Shravan shukla maas.
Chalisa rachna kiyau,
Tav charanan ko daas.

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