Shree Dwarkadhish Temple: Timings, History & How to Reach
Jay Dwarkadhish! Shree Dwarkadhish Temple is dedicated to Lord Krishna, the 8th incarnation of Lord Vishnu. Dwarkadhish Temple, also known…
Grishneshwar Temple in Hindi: घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत देश के महाराष्ट्र राज्य में औरंगाबाद जिले में एलोरा की गुफाओं के निकट में ही स्थित है| यह मंदिर भारत देश में प्रसिद्ध भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है| मान्यताओं के अनुसार यह घृष्णेश्वर मंदिर (Grishneshwar Temple) पूर्ण रूप से भगवान शंकर को समर्पित किया गया है|
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि भगवान शिव के इस मंदिर को यूनेस्को ने अपनी विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया हुआ है| माना जाता है कि इस मंदिर में आकर भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से भक्तों को परमसुख की अनुभूति प्राप्त होती है|
इसके अतिरिक्त में भक्तों को भगवान शंकर का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है| यह मंदिर काफी पुराना बताया जाता है| कहा जाता है कि इस मंदिर की खोज 13 वी शताब्दी की गयी थी| यह मंदिर एलोरा की गुफा में स्थित माना जाता है|
इस मंदिर में भगवान शंकर शिवलिंग के रूप में विराजमान है| घृष्णेश्वर मंदिर (Grishneshwar temple) को सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थालों मे से एक माना जाता है| जैसा कि आप सभी लोगों को पता है भगवान शंकर के शिवलिंग ऐसे तो बहुत सारे स्थानों पर विराजमान है लेकिन इस मंदिर में स्थित भगवान शिव के इस शिवलिंग के साथ ही 11 अन्य विशेष शिवलिंग का बहुत ही बड़ा महत्व है|
इन सभी दिव्य ज्योतिर्लिंगों को मिलाकर भारत देश में कुल 12 ज्योतिर्लिंग उपस्थित है जो कि सम्पूर्ण भारत देश में अलग – अलग स्थानों पर उपस्थित है|
इन्ही 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक घृष्णेश्वर मंदिर में भी स्थित है| इस मंदिर में उपस्थित ज्योतिर्लिंग को अंतिम ज्योतिर्लिंग का दर्जा दिया गया है| माना जाता है कि बाकी 11 ज्योतिर्लिंगों के सामान ही इस मंदिर में स्थित ज्योतिर्लिंग की भी बहुत ही बड़ी महिमा मानी जाती है|
घृष्णेश्वर मंदिर (Grishneshwar Temple) को भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना गया है| भगवान शिव के इस पवित्र घृष्णेश्वर मंदिर (Grishneshwar Temple) में भक्तगणों के लिए मंदिर में भगवान शिव के दर्शन का समय प्रातकाल: सुबह 04:00 बजे से प्रारंभ होकर रात्रि में 10:00 बजे तक रहता है|
कुछ ख़ास अवसर जैसे श्रावण के महीने जो कि अगस्त तथा सितंबर के महीने में आते है , में भगवान शिव के इस मंदिर में दर्शन का समय प्रातकाल: 03:00 से प्रारंभ होकर रात्रि में 11:00 बजे तक रहता है| सामान्यत: भगवान शंकर के ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने में लगभग 2 घंटे का समय लगता है|
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लेकिन श्रावण का महीने होता है तो घृष्णेश्वर मंदिर में इतनी भीड़ होती है कि भक्तों को ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने में 6 से 8 घंटे का भी समय लग जाता है| तो आईये इस लेख में आगे जानते है कि इस मंदिर का कार्यक्रम किस प्रकार होता है|
दिन | आरती/पूजा | समय |
सोमवार से रविवार | मंगल आरती | प्रातः 04:00 बजे |
सोमवार से रविवार | जलहरि सघन | 08:00 बजे |
सोमवार से रविवार | महाप्रसाद | 12:00 बजे |
सोमवार से रविवार | जलहरि सघन | 16:00 बजे |
सोमवार से रविवार | संध्या आरती – ग्रीष्म | 19:30 बजे |
सोमवार से रविवार | संध्या आरती – शीत ऋतु | 17:40 बजे |
सोमवार से रविवार | रात्रि आरती | 22:00 बजे |
इसके अलावा यदि आप घृष्णेश्वर मंदिर(Grishneshwar Temple) में रुद्राभिषेक की पूजा करवाना चाहते है तो उसके लिए भी आपको मंदिर में जाकर जानकारी प्राप्त कर सकते है लेकिन यदि आपको अपने घर पर ही रुद्राभिषेक की पूजा करवानी है तो 99Pandit आपके लिए एक बहुत ही अच्छा विकल्प है|
जिसकी सहायता से आपको ऑनलाइन पंडित की सुविधा प्राप्त होती है| आप 99Pandit की सहायता से रुद्राभिषेक के अलावा भी हिन्दू धर्म से सम्बंधित सभी पूजा करवा सकते है जैसे – भूमि पूजा, सत्यनारायण कथा, नवग्रह शांति पूजा आदि|
भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक घृष्णेश्वर मंदिर (Grishneshwar Temple) औरंगाबाद जिले में स्थित है| यदि आप भगवान शिव इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए जाना चाहते है तो उसके लिए आपको औरंगाबाद शहर से 30 किमी की दूरी पर स्थित वेरुल नाम के एक गाँव में पहुंचना होगा, जिस स्थान पर मंदिर स्थित है|
इस मंदिर को घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है| जैसा कि आपको पता है औरंगाबाद शहर महाराष्ट्र के सबसे जाने माने शहरों की सूची में आता है इसलिए आपको यहाँ से घृष्णेश्वर मंदिर जाने के लिए साधन बहुत ही आसानी से हो जाते है| तो आइये जानते है उन साधनों के बारे में जो आपको घृष्णेश्वर मंदिर तक ले जाएंगे –
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि यदि आप सड़क मार्ग से घृष्णेश्वर मंदिर (Grishneshwar Temple) जाना चाहते है तो आपको उसके लिए राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 211 से जाना होगा क्योंकि यह राजमार्ग औरंगाबाद घृष्णेश्वर मंदिर के पास होकर ही निकलता है|
मुंबई शहर से यह दुरी 300 किमी, शिरडी से 170 किमी, नासिक से 175 तथा त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग से लगभग 200 किमी की दूरी यात्रियों को तय करनी पड़ती है| अगर सीधी भाषा में कहे तो सड़क मार्ग भक्तों के लिए काफी ज्यादा कठिन हो जाता है| इसलिए अधिकतर सलाह यही दी जाती है कि आप महाराष्ट्र से अधिक दूर रहते है तो आपको ट्रेन या हवाई जहाज का ही चुनाव करना चाहिए|
यदि आप हवाई मार्ग के द्वारा घृष्णेश्वर मंदिर(Grishneshwar Temple) जाना चाहते है तो इस मंदिर से सबसे नजदीक हवाई अड्डा औरंगाबाद में ही है जो कि घृष्णेश्वर मंदिर से लगभग 30 किमी की दुरी पर स्थित है| आपको औरंगाबाद हवाई अड्डे से घृष्णेश्वर मंदिर के लिए बहुत सारे निजी साधन मिल जाएंगे| जिनकी सहायता से आप आसानी मंदिर तक जा सकते है|
यदि आपके शहर में हवाई अड्डे की सुविधा नहीं है तो आपके लिए सबसे बेहतरीन साधन ट्रेन का ही होगा| औरंगाबाद महाराष्ट्र के जाने माने शहरों में से एक माना जाता है| इसलिए लगभग सभी स्थानों से यहाँ के लिए ट्रेन का मिलना कोई कठिन कार्य नहीं है, लेकिन फिर भी यदि आपके शहर से औरंगाबाद के लिए कोई ट्रेन नहीं जाती है तो आप मनमाड के लिए ट्रेन ले सकते है तथा इसके पश्चात यहाँ से आप औरंगाबाद के लिए दूसरी ट्रेन ले सकते है| इसके पश्चात रेलवे स्टेशन से ही आपको इस मंदिर के लिए बहुत सारे निजी साधन मिल जाएंगे|
महर्षि वेदव्यास जी के द्वारा लिखे हुए शिव पुराण में इस मंदिर के बारे में अनेकों कथाएँ बताई गयी है| इस कथा में बताया गया है कि प्राचीन समय में देवगिरी नामक एक पर्वत पर ब्रह्मवेत्ता सुधर्म नाम का एक ब्राह्मण रहता था| वह ब्राह्मण अपनी पत्नी सुदेहा के साथ रहता था| लेकिन उसके कोई संतान नहीं थी|
जिस कारण सुदेहा ने अपने पति का विवाह अपनी बहन गुश्मा के साथ करवा दिया| ब्रह्मवेत्ता तथा गुश्मा ने एक पुत्र को जन्म दिया| इसके पश्चात सुदेहा को उनके पुत्र से ईर्ष्या होने लगी| इसलिए उसने उस बच्चे को मार दिया तथा उसे छोटे छोटे टुकड़ों में काटकर उस झील में फेंक दिया, जहाँ गुश्मा भगवान शंकर की पूजा करती थी|
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लेकिन इसके बारे गुश्मा को पता चल गया फिर भी उसने लगातार भगवान शिव की आराधना करना चालू रखा| वह प्रतिदिन “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करती थी| उसकी इस अटूट भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शंकर उसके पुत्र के साथ गुश्मा के समक्ष प्रकट हुए तथा उसको बताया कि किस प्रकार उसकी अपनी बहन ने उसके पुत्र की हत्या की थी|
जब गुश्मा को इस बारे में पता चला तो गुश्मा ने भगवान शंकर से विनती की कि वह उसकी बहन को उसके सभी पापों के लिए माफ़ कर दे| गुश्मा की इस बात से भगवान शिव उससे और भी अधिक प्रसन्न हो गए तथा गुश्मा से एक वरदान मांगने को कहा –
तब गुश्मा ने भगवान शिव के वरदान माँगा कि भगवान शंकर हमेशा के लिए ही उस स्थान पर रहे, जिस स्थान पर गुश्मा प्रतिदिन भगवान शंकर की पूजा करती थी| गुश्मा के इतना कहते ही भगवान शंकर ने स्वयं को एक ज्योतिर्लिंग में बदल लिया| उस समय से झील को शिवालय के नाम से जाना जाता है|
प्रमुख शहरों के नाम | दूरी (कि.मी) |
औरंगाबाद से घृष्णेश्वर मंदिर की दूरी | 30 कि.मी |
अहमदनगर से घृष्णेश्वर मंदिर की दूरी | 135 कि.मी |
बेंगलुरु से घृष्णेश्वर मंदिर की दूरी | 109 कि.मी |
चालीसगांव से घृष्णेश्वर मंदिर की दूरी | 51 कि.मी |
एलोरा से घृष्णेश्वर मंदिर की दूरी | 1 कि.मी |
चेन्नई से घृष्णेश्वर मंदिर की दूरी | 1208 कि.मी |
शिरडी से घृष्णेश्वर मंदिर की दूरी | 77 कि.मी |
त्र्यंबकेश्वर से घृष्णेश्वर मंदिर के बीच की दूरी | 171 कि.मी |
शनि शिंगणापुर से घृष्णेश्वर मंदिर के बीच की दूरी | 103 कि.मी |
हैदराबाद से घृष्णेश्वर मंदिर के बीच की दूरी | 591 कि.मी |
नासिक से घृष्णेश्वर मंदिर के बीच की दूरी | 175 कि.मी |
इंदौर से घृष्णेश्वर मंदिर के बीच की दूरी | 373 कि.मी |
कोल्हापुर से घृष्णेश्वर मंदिर के बीच की दूरी | 459 कि.मी |
मुंबई से घृष्णेश्वर मंदिर के बीच की दूरी | 355 कि.मी |
नागपुर से घृष्णेश्वर मंदिर के बीच की दूरी | 488 कि.मी |
यह मंदिर वानर देवता भगवान हनुमान जी को समर्पित किया गया है| इस मंदिर में भगवान हनुमान जी की शयन की स्थिति में प्रतिमा लगी हुई है| यह मंदिर घृष्णेश्वर मंदिर (Grishneshwar Temple) से लगभग 6 किमी की दुरी पर स्थित है|
यह मंदिर महाराष्ट्र के औंधा नागनाथ नामक गाँव में स्थित है| यह मंदिर पहले ज्योतिर्लिंग के रूप में भी जाना जाता है| माना जाता है कि पांडवों के सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर ने अपने निर्वासन के समय ही इस मंदिर का निर्माण करवाया था| यह मंदिर घृष्णेश्वर मंदिर (Grishneshwar Temple) मंदिर से लगभग 227 किमी की दुरी पर स्थित है|
पौराणिक कथाओं की मान्यताओं के अनुसार यह एलोरा गुफाएं हिन्दू गुफाएँ, जैन गुफाएं तथा बौद्ध गुफाओं के संग्रह के रूप में जानी जाती है| यह गुफाएँ धार्मिक सद्भाव का एक बहुत ही बेहतरीन उदाहरण है| एलोरा की गुफाएँ घृष्णेश्वर मंदिर (Grishneshwar Temple) से 1 किमी की दूरी पर स्थित है|
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर नासिक के त्र्यंबक नामक शहर में स्थित है| यह मंदिर घृष्णेश्वर मंदिर (Grishneshwar Temple) से 214 किमी की दूरी पर स्थित है| माना जाता है कि इस मंदिर में जो ज्योतिर्लिंग मौजूद है| उसके तीन मुख है जिनमें से पहला मुख भगवान शिव, दूसरा भगवान विष्णु तथा तीसरा मुख भगवान ब्रह्मा जी को समर्पित किया गया है|
आज हमने इस आर्टिकल के माध्यम से घृष्णेश्वर मंदिर(Grishneshwar Temple) के बारे में काफी बातें जानी है| आज हमने घृष्णेश्वर मंदिर(Grishneshwar Temple) में होने वाली रुद्राभिषेक पूजा के बारे में भी जाना तथा वहां तक जाने के लिए साधनों के बारे में भी बात की|
हम उम्मीद करते है कि हमारे द्वारा बताई गई जानकारी से आपको कोई ना कोई मदद मिली होगी| इसके अलावा भी अगर आप किसी और पूजा के बारे में जानकारी लेना चाहते है। तो आप हमारी वेबसाइट 99Pandit पर जाकर सभी तरह की पूजा या त्योहारों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी ले सकते है|
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Q.घृष्णेश्वर मंदिर के पास कौन सी नदी है ?
A.इस मंदिर के पास में एलागंगा नाम की नदी है|
Q.औरंगाबाद में कौन सा शिवलिंग है ?
A.औरंगाबाद में घृष्णेश्वर महादेव का शिवलिंग उपस्थित है|
Q.सबसे प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग कौन सा है ?
A.काशी विश्वनाथ को सबसे प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग माना जाता है|
Q.घृष्णेश्वर मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
A.यह मंदिर भारत के प्रमुख हिन्दू तीर्थ स्थलों में से एक है|
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