Rudrabhishek Puja in Kashi Vishwanath: Cost, Vidhi & Benefits
Pandit for Rudrabhishek puja in Kashi Vishwanath temple is an important ritual that benefits the devotees and brings a lot…
हमारे भारत देश अनेकों सम्प्रदाय के लोग निवास करते है| इन सभी धर्मों में सबसे सुन्दर धर्म हिन्दू धर्म को माना गया है| ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि हिंदू धर्म में इस दुनिया में उपस्थित लगभग हर एक वस्तु की पूजा की जाती है| फिर चाहे हो प्रकृति में उपस्थित पेड़ हो, पशु हो, जल, वायु, आकाश, पहाड़, अग्नि इत्यादि अनेकों चीजों की पूजा की जाती है|
हिन्दू धर्म में नवग्रहों की पूजा को बहुत शुभ माना जाता है क्योंकि इससे मनुष्य की कुंडली में हो रहे दुष्प्रभाव को दूर किया जा सकता है| आज हम नवग्रहों में सबसे शक्तिशाली ग्रह व देवता सूर्य देव के बारे में बात करेंगे|
सूर्य देव को हिन्दू धर्म के ग्रंथों में जगत की आत्मा के रूप में जाना जाता है| माना जाता है कि सूर्य के कारण ही इस धरती पर जीवन संभव है| पौराणिक काल में आर्य समाज के लोग सूर्य देव को ही एक जगत का कर्ता – धर्ता मानते थे| सभी ऋग्वेद देवताओं में सूर्य देव का स्थान काफी उच्च माना गया है|
मान्यता है कि सूर्य देव की पूजा पूर्ण निष्ठा से करने पर पुत्र प्राप्ति के लिए भी भी आशीर्वाद प्राप्त होता है| जैसा कि आप सभी लोग जानते ही है कि हिन्दू धर्म में सप्ताह का प्रत्येक दिन किसी न किसी भगवान को समर्पित किया गया है| जिसमे से रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित किया गया|
इस दिन के स्वामी सूर्य देव ही है| रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा करने काफी शुभ माना जाता है| सूर्यदेव केवल इस ब्रह्माण्ड के कर्ता-धर्ता ही नहीं नवग्रहों के राजा भी है| इसलिए खासकर सूर्य देव की पूजा करने से जीवन में खुशियाँ ही खुशियाँ आती है|
सूर्य देव को नवग्रहों के राजा के रूप में जाना जाता है| सभी ग्रहों में सूर्य देव ही सबसे शक्तिशाली और इस धरती के कर्ता – धर्ता है| सूर्य देव के जन्म के बारे काफी सारी अलग – अलग कथाएँ प्रचलित है| सूर्य देव को अनेकों नाम से जाना जाता है| जैसे – रवि, दिनकर, दिवाकर, भानु, आदित्य ऐसे कई नामों से जाना जाता है|
आज हम सूर्य देव के आदित्य नाम की जन्म कहानी के बारे में प्रचलित कथा बताएँगे| पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्मा जी के दो पुत्र थे महर्षि मरिचि और महर्षि कश्यप| जिनका विवाह प्रजापति दक्ष की कन्याएं दीति और अदिति के साथ हुआ| दीति ने एक असुर को जन्म दिया और अदिति ने देवता को जन्म दिया, जो हमेशा एक – दुसरे से लड़ते रहते थे|
इनको इस प्रकार लड़ते हुए देखकर माता अदिति को बहुत ही दुख होता था| इसलिए उन्होंने सूर्य भगवान की प्रार्थना की| उनकी प्रार्थना से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने उन्हें उनके घर पुत्र के रूप में जन्म लेने का वरदान दिया| इसके कुछ ही समय के पश्चात अदिति को गर्भ धारण हुआ लेकिन इसके पश्चात भी अदिति ने कठोर व्रत का पालन किया|
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जिसकी वजह से उनके स्वास्थ्य पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता नज़र आ रहा था| इसके कारण महर्षि कश्यप को भी काफी चिंता होने लगी थी| महर्षि कश्यप भी उन्हें समझाते है कि इस अवस्था में इतना कठोर उपवास रखने से गर्भ में पल रहे बच्चे पर काफी बुरा असर पड़ेगा|
तब माता अदिति ने उन्हें बताया कि यह जो बालक है वो कोई साधारण बालक नहीं है| यह बालक स्वयं सूर्य का अंश है| इसलिए इसे कुछ भी नहीं होने वाला है| कुछ ही समय के पश्चात उनकी गर्भ से एक बड़े ही तेजस्वी बच्चे ने जन्म लिया, जो सभी देवताओं के लिए नायक बना और असुरों का संहार किया| माता अदिति के गर्भ से जन्म लेने के कारण इनका नाम भी आदित्य रखा गया|
पौराणिक समय से यही मान्यता रही है कि भगवान सूर्य देव को खुश करने किसी चढ़ावे या किसी बड़ी पूजा की आवश्यकता नहीं होती है| यही एकमात्र ऐसा देव है जो केवल उन्हें प्रणाम करने और जल अर्घ्य करने से ही प्रसन्न हो जाते है| कई सारी कथाओं में सूर्य देव को इस धरती को ऊर्जा प्रदान करने वाला माना गया है|
यदि आपको आपके जीवन धन, सुख, समृद्धि और सम्पदा प्राप्त करनी है| तो प्रत्येक रविवार को सूर्य देव को जल चढाते हुए सूर्यदेव के 12 नाम का जप करने से आपको इन सब चीजों की प्राप्ति हो जाएगी| सूर्यदेव के 12 नाम का जप करने से वे प्रसन्न होते है और अपने भक्तों की इच्छा को पूर्ण करते है| साथ जातक की कुंडली में भी सूर्य ग्रह की स्थिति भी शक्तिशाली होती है|
सूर्य देव के 12 नाम निम्न है| जिनका प्रत्येक रविवार को जप करना चाहिए|
सामग्री | मात्रा |
रोली | 10 ग्राम |
पीला सिंदूर | 10 ग्राम |
पीला अष्टगंध चंदन | 10 ग्राम |
लाल चन्दन | 10 ग्राम |
सफ़ेद चन्दन | 10 ग्राम |
लाल सिंदूर | 10 ग्राम |
हल्दी (पिसी) | 50 ग्राम |
हल्दी (समूची) | 50 ग्राम |
सुपाड़ी (समूची बड़ी) | 100 ग्राम |
लौंग | 10 ग्राम |
इलायची | 10 ग्राम |
सर्वौषधि | 1 डिब्बी |
सप्तमृत्तिका | 1 डिब्बी |
सप्तधान्य | 100 ग्राम |
पीली सरसों | 50 ग्राम |
जनेऊ | 21 पीस |
इत्र बड़ी | 1 शीशी |
गरी का गोला (सूखा) | 11 पीस |
पानी वाला नारियल | 1 पीस |
जटादार सूखा नारियल | 2 पीस |
अक्षत (चावल) | 11 किलो |
धूपबत्ती | 2 पैकेट |
रुई की बत्ती (गोल / लंबी) | 1-1 पैकेट |
देशी घी | 1 किलो |
सरसों का तेल | 1 किलो |
कपूर | 50 ग्राम |
कलावा | 7 पीस |
चुनरी (लाल / पीली) | 1/1 पीस |
बताशा | 500 ग्राम |
लाल रंग | 5 ग्राम |
पीला रंग | 5 ग्राम |
काला रंग | 5 ग्राम |
नारंगी रंग | 5 ग्राम |
हरा रंग | 5 ग्राम |
बैंगनी रंग | 5 ग्राम |
अबीर गुलाल (लाल, पीला, हरा, गुलाबी) अलग-अलग | 10-10 ग्राम |
बुक्का (अभ्रक) | 10 ग्राम |
गंगाजल | 1 शीशी |
गुलाब जल | 1 शीशी |
लाल वस्त्र | 5 मीटर |
पीला वस्त्र | 5 मीटर |
सफेद वस्त्र | 5 मीटर |
हरा वस्त्र | 2 मीटर |
काला वस्त्र | 2 मीटर |
नीला वस्त्र | 2 मीटर |
बंदनवार (शुभ, लाभ) | 2 पीस |
स्वास्तिक (स्टीकर वाला) | 5 पीस |
धागा (सफ़ेद, लाल, काला) त्रिसूक्ति के लिए | 1-1 पीस |
झंडा हनुमान जी का | 1 पीस |
चांदी का सिक्का | 2 पीस |
कुश (पवित्री) | 4 पीस |
लकड़ी की चौकी | 7 पीस |
पाटा | 8 पीस |
रुद्राक्ष की माला | 1 पीस |
तुलसी की माला | 1 पीस |
चन्दन की माला (सफ़ेद/लाल) | 1 पीस |
स्फटिक की माला | 1 पीस |
दोना (छोटा – बड़ा) | 1-1 पीस |
मिट्टी का कलश (बड़ा) | 11 पीस |
मिट्टी का प्याला | 21 पीस |
मिट्टी की दियाली | 21 पीस |
ब्रह्मपूर्ण पात्र (अनाज से भरा पात्र आचार्य को देने हेतु) | 1 पीस |
हवन कुण्ड | 1 पीस |
माचिस | 2 पीस |
आम की लकड़ी | 5 किलो |
नवग्रह समिधा | 1 पैकेट |
हवन सामग्री | 2 किलो |
तिल | 500 ग्राम |
जौ | 500 ग्राम |
गुड़ | 500 ग्राम |
कमलगट्टा | 100 ग्राम |
गुग्गुल | 100 ग्राम |
धूप लकड़ी | 100 ग्राम |
सुगंध बाला | 50 ग्राम |
सुगंध कोकिला | 50 ग्राम |
नागरमोथा | 50 ग्राम |
जटामांसी | 50 ग्राम |
अगर-तगर | 100 ग्राम |
इंद्र जौ | 50 ग्राम |
बेलगुदा | 100 ग्राम |
सतावर | 50 ग्राम |
गुर्च | 50 ग्राम |
जावित्री | 25 ग्राम |
भोजपत्र | 1 पैकेट |
कस्तूरी | 1 डिब्बी |
केसर | 1 डिब्बी |
खैर की लकड़ी | 4 पीस |
काला उड़द | 250 ग्राम |
मूंग दाल का पापड़ | 1 पैकेट |
शहद | 50 ग्राम |
पंचमेवा | 200 ग्राम |
पंचरत्न व पंचधातु | 1 डिब्बी |
धोती (पीली/लाल) | 1 पीस |
अगोंछा (पीला/लाल) | 1 पीस |
सुहाग सामग्री – साड़ी, बिंदी, सिंदूर, चूड़ी, आलता, नाक की कील, पायल, इत्यादि । |
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काली मटकी (नजर वाली हाँड़ी) |
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1 चाँदी की गाय बछड़ा समेत |
हमने आपको सूर्य ग्रह शांति की पूजा सामग्री के बारे में आपको सारी जानकारी बता दी गई है| अब हम इस आर्टिकल के माध्यम से सूर्य देव को प्रसन्न करने व उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनकी पूजा के सही विधि के बारे में जानेंगे| सूर्यदेव ही एकमात्र ऐसे देव को जिनको प्रसन्न करने के लिए अधिक पूजा – पाठ की भी आवश्यकता नहीं है|
यदि आप अपने जीवन ग्रहों के प्रकोप से परेशान है तो आपको नवग्रह शांति की पूजा अवश्य करवानी चाहिए| इससे आपके जीवन में चल रही सभी प्रकार की समस्याएं दूर होंगी| नवग्रह शांति पूजा के लिए आप ऑनलाइन पंडित जी को 99Pandit की वेबसाइट बुक कर सकते है|
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तो आइये जानते है सूर्य देव की पूजा विधि –
भगवान सूर्य देव की पूजा करने के अनेकों लाभ है| आज हम इस आर्टिकल की मदद से आपको चार ऐसे महत्वपूर्ण लाभ है, जो सूर्य देव की पूजा करने से मिलता है| यह लाभ अपने जीवन में सभी व्यक्तियों को चाहिए| तो आइये जानते है, वो कौन से लाभ है जो सूर्य देव की पूजा करने से मिलते है|
जब व्यक्ति भगवान सूर्य देव की पूजा करना प्रारंभ करता है तो उसके व्यक्तित्व में पूर्ण रूप से अलग ही बदलाव आ जाता है| हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार सूर्य देव की पूजा करने और उन्हें नियमित जल चढाने से वे प्रसन्न होते है|
इससे व्यक्ति के आत्मविश्वास में अत्यधिक वृद्धि होती है| ऐसा माना जाता है कि सूर्य ग्रह आत्मा का कारक है| इसलिए व्यक्ति की कुंडली में इसका प्रभाव उच्च होने पर व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है|
ऐसा कहा जाता है कि सूर्य देव को नौग्रहों में पिता के रूप में जाना जाता है| इसलिए सूर्य देव की पूजा करने से पैतृक संपति में लाभ और पिता का सुख भी प्राप्त होता है| इसका लाभ पाने के लिए आपको प्रत्येक रविवार के दिन आपको सूर्य देव को जल चढ़कर आशीर्वाद लेना है और इसके बाद आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ नियमित रूप से पूर्ण विधि से करना होगा|
बहुत सारे विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयारी करते है| कई लोग सरकारी नौकरी पाने की चाह रखते है तो इसके लिए आपको भगवान सूर्य देव की पूजा करके उन्हें प्रसन्न करना होगा| किसी परीक्षा, नौकरी या अपने कारोबार में सफलता पाने के लिए आपको सूर्य देव की विधिवत पूजा करनी होगी| जब आपकी कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिति बलवान होगी| तब ही आप किसी भी क्षेत्र में सफल हो पाएंगे|
सुबह जल्दी ब्रह्म मुहूर्त में जागने पर हमारा स्वास्थ्य अच्छा रहता है| उगते हुए सूरज को नमस्कार करना चाहिए| जब उगते हुए सूरज की किरणे हमारे शरीर पर पड़ती है| तो यह हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छी रहती है|
जिससे व्यक्ति के जीवन में सुख – समृद्धि का संचार होता है| जिन व्यक्तियों के ऊपर सूर्य ग्रह की महादशा चल रही है| उन्हें प्रतिदिन ही सूर्योदय से पहले उठकर सूर्य देव को प्रणाम करके उनका आशीर्वाद लेना चाहिए|
आज हमने इस आर्टिकल के माध्यम से सूर्य देव की पूजा के बारें में काफी बाते जानी है| आज हमने सूर्य देव की के फ़ायदों के बारे में भी जाना| इसके अलावा हमने आपको सूर्य देव की पूजा से जुडी काफी बातों के बारे में बताया है|
हम उम्मीद करते है कि हमारे द्वारा बताई गयी जानकारी से आपको कोई ना कोई मदद मिली होगी| इसके अलावा भी अगर आप किसी और पूजा के बारे में जानकारी लेना चाहते है। तो आप हमारी वेबसाइट 99Pandit पर जाकर सभी तरह की पूजा या त्योहारों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी ले सकते है।
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Q.सूर्य भगवान की पूजा करने से क्या होता है ?
A.इनकी कृपा आपके जीवन में सुख – समृद्धि, यश और वैभव की प्राप्ति होगी|
Q.सूर्य भगवान को जल चढाने से क्या फायदा है ?
A.सूर्य देव को जल चढाने से भक्त के जीवन के सभी दुःख व तकलीफे दूर होती है|
Q.सूर्य देव को कितनी बार जल चढ़ाना चाहिए ?
A.हिन्दू धर्म के अनुसार सूर्य देव को तीन बार जल चढाने की परंपरा है|
Q.सूर्य देव को कौनसा फूल चढ़ाना चाहिए ?
A.सूर्य देव को गुडहल का फूल अधिक प्रिय है|
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