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गोवर्धन पूजा 2025

Govardhan Puja 2025 Date: कब है गोवर्धन पूजा? जाने शुभ मुहूर्त व विधि

99Pandit Ji
Last Updated:October 17, 2025

Govardhan Puja 2025 : पुरे भारत देश में सभी त्योहारों को बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। वेदो के अनुसार गोवर्धन पूजा का हिन्दू धर्म में काफी महत्व है। यह त्यौहार कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है।

जिस प्रकार से हिन्दू धर्म में दिवाली का त्यौहार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है उसी प्रकार से ही गोवर्धन पूजा 2025 को भी बड़े हर्षोउल्लास के मनाया जाता है। दिवाली का त्यौहार पांच दिनों तक मनाया जाता हैं।

गोवर्धन पूजा 2025

गोवर्धन पूजा 2025 वाले दिन मंदिरों अन्नकूट का भोग बनाया जाता तथा भक्तों में बॉंटा जाता है। इस वर्ष दिवाली 20 अक्टूबर 2025 को है और गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर 2025 को है।

इस दिन गौ माता और उन्ही के साथ भगवान श्री कृष्ण की भी पूजा का विधान है। 21 अक्टूबर 2025 को प्रतिपदा तिथि शाम 05:54 से शुरू होकर 22 अक्टूबर 2025 को रात्रि 08:16 तक यह तिथि समाप्त हो जाएगी। इसलिए महिलाओं को इसी मुहूर्त में अपनी पूजा संपन्न करना आवश्यक है।

हिन्दू धर्म में गोवर्धन पूजा का काफी बड़ा महत्व बताया गया है क्यूंकि इस दिन भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए उनकी सबसे प्रिय पशु गौ माता और उनके बछड़े की साथ में पूजा की जाती है और भगवान से प्रार्थना की जाती है। इस दिन महिलाए गोबर से गोवर्धन बनाकर उसे फूल आदि से सजाती है तथा उसकी पूजा करती है।

गोवर्धन पूजा का मानव जीवन से सीधा संबंध है। इसके बारे में काफी मान्यताओं और लोककथाओं में प्रमाण मिलते है। वेदो में गाय को गंगा नदी के समान ही पवित्र माना गया है।

गाय को माता लक्ष्मी का ही रूप माना गया है जिस प्रकार माता लक्ष्मी जो कि धन देवी है वो अपने भक्तो को सुख  समृद्धि प्रदान करती है।

गोवर्धन पूजा 2025 के लिए शुभ मुहूर्त

हमने इस आर्टिकल की सहायता से आपको गोवर्धन पूजा के बारे लगभग पूरी जानकारी प्रदान कर दी। अब हम आपको इस वर्ष 2025 में यानी गोवर्धन पूजा की तिथि और इसकी पूजा के लिए उचित और शुभ मुहूर्त बताएँगे।

तो प्रतिपदा तिथि 21 तारीख से शुरू हो जाएगी और अगले दिन 22 तारीख को ख़तम हो जाएगी। 22 अक्टूबर को पूजा सबसे शुभ समय प्रातकाल: 06:28 AM से 08:45 AM तक रहेगा। इसके बाद पूजा शुभ मुहूर्त समाप्त हो जाएगा तो ध्यान रखे कि इस समय तक आपकी पूजा हो जाए।

तिथि तारीख समय 
प्रतिपदा तिथि शुरू  21 अक्टूबर 2025 05:54 PM
प्रतिपदा तिथि समाप्त  22 अक्टूबर 2025 08:16 PM

 

गोवर्धन पूजा क्या है ?

हिन्दू धर्म में गोवर्धन पूजा का काफी बड़ा महत्व है। गोवर्धन पूजा वाले दिन महिलाएँ प्रातकाल: जल्दी उठकर गोबर से गोवर्धन जी बनती है उसके बाद उसे फूलो से सजाया जाता है।

फिर गोवर्धन जी के पास दीपक जलाकर उसकी पूजा की जाती है। गोवर्धन पूजा वाले दिन भगवान श्री कृष्ण के साथ – साथ उसके प्रिय गाय तथा उनके बछड़ो की भी पूजा की जाती है।

इस दिन गायो के साथ बेलों की भी पूजा की जाती है। इस दिन मंदिरो में अन्नकूट बाँटा जाता है। इसलिए इस दिन को अन्नकूट दिवस भी कहते है।

इस दिन लोग बड़ी दूर दूर से मथुरा में यहाँ गोवर्धन के परिक्रमा करने के लिए भी आते है। मथुरा भारत के उत्तरप्रदेश में स्थित है। गोवर्धन पर्वत को गिरिराज जी भी कहते है। यह परिक्रमा 7 कोस यानि लगभग 21 किलोमीटर की है।

लोगो का मानना यह भी है की गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा को नंगे पैर ही करना चाहिए इससे उन्हें भगवान का आशीर्वाद मिलता है।

लोगो का मानना यह भी है कि इसकी परिक्रमा को अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए। परिक्रमा को बीच में ही आधा छोड़ देना शुभ नहीं माना जाता है। गोवर्धन पूजा ज्यादातर दिवाली के एक दिन बाद ही आती है।

यह इसलिए मनाया जाता क्यूंकि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र देव के अहंकार को चूर – चूर कर दिया था। कभी – कभी ऐसा होता है की गोवर्धन पूजा दिवाली के एक दिन आगे या दो दिन आगे हो सकती है।

गुजरात के लोग इस त्यौहार को नए साल के रूप में मनाते है। अन्नकूट और दिवाली ये दोनों त्यौहार ही एक साथ आते है। तो इनके रीती रिवाज भी आपस में एक दूसरे से काफी जुड़े हुए हैं। इस पूजा में भी दिवाली की ही तरह पहले के 3 दिन पूजा पाठ करने वाले ही होते हैं। 

गोवर्धन पूजा की सम्पूर्ण विधि

इस दिन प्रात काल: जल्दी उठकर तेल को अच्छे मलकर नहाने की काफी पुरानी प्रथा चली आ रही है। इसके पश्चात पूजा सामग्री को तैयार करके पूजा स्थान पर चले जाए और वहाँ आराम से सर्वप्रथम अपने कुल देवी या देवताओं का ध्यान कीजिए।

उसके बाद पूर्ण श्रद्धा से गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाए। शास्त्रों में बताया गया है कि इसकी आकृति लेटे हुए पुरुष के समान होनी चाहिए।

गोवर्धन पूजा 2024

इसके बाद बनाई हुई आकृति को फूल, पत्तियों और टहनी तथा गाय की आकृतियों से सुसज्जित किया जाता है।

गोवर्धन की आकृति को बनाकर उसके बिलकुल बीच में भगवान श्री कृष्णा को रखा जाता है और इसके बीच में एक गड्ढा बनाया जाता है फिर उसके अंदर दूध, दही, और गंगाजल के साथ ही शहद भी डाला जाता है और पूजा की जाती है। इसके बाद प्रसाद को लोगो में बाँट दिया जाता है।

इसी के साथ ही  गायो को भी सजाने की भी प्रक्रिया है। यदि आपके आस पास कोई गाय हो उसे अच्छे से नहलाकर तैयार करे। उसका अच्छी तरह से श्रृंगार करे और उसके सिंघो पर घी लगाए तथा उससे गुड़ खिलाए और उसे प्रणाम करके आशीर्वाद प्राप्त करे।

गौ माता की अच्छे से पूजा करने पर श्री कृष्ण के साथ – साथ माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती है। पूजा को अच्छे प्रकार पूर्ण कर लेने के बाद गोवर्धन के सात बार परिक्रमा करे।  एक व्यक्ति अपने हाथ में जल का लोटा और दूसरा व्यक्ति अपने हाथ में जौ लेकर चलता है।

जल वाला व्यक्ति आगे आगे जल गिराता जाता है और दूसरा व्यक्ति जौ गिराता यानि जौ बोता हुआ परिक्रमा करता है इस पूजा को सच्ची श्रद्धा से करने वालो के लिए ये काफी लाभदायक है।

गोवर्धन पूजा करते समय ध्यान देने योग्य बातें

  1. इस दिन तेल से मलकर नहाने की मान्यता काफी पुरानी है।
  2. इस दिन गोबर से गोवर्धन जी बनाकर पूजा करें जिसकी आकृति लेटे हुए पुरुष के समान ।
  3. गोवर्धन के बीच में श्री कृष्ण की मूर्ति को रखकर उनकी पूजा की जाती है।
  4. पूजा के समाप्त होने के पश्चात पंचामृत का भोग लगाएं।
  5. उसके बाद गोवर्धन जी की कथा सुने या पढ़े और प्रसाद बाँट दिजिये।

गोवर्धन पर्वत को 56 भोग क्यों लगाया जाता है

हिन्दू धर्म में 56 भोग का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। इसके तथ्य के बारे में काफी सारी रोचक कहानियां है। पुराणों में बताया गया है कि भगवन श्री कृष्ण एक दिन में कुल 8 बार भोजन करते थे।

जब भगवान ने बृजवासियों को इंद्र देव के क्रोध से बचाने के लिए जब  गोवर्धन को अपनी कनिष्ठा अंगुली से उठाया तो श्री कृष्ण उस समय पुरे 7 दिनों तक भूखे रहे थे।

उसी के अनुसार 7 दिन में 8 बार भोजन के अनुसार ये 56 भोग का सार बन गया है। तब से भगवान श्री कृष्ण को इस दिन 56  भोग का प्रसाद लगाया जाता हैं। ये भोग लगाने का भी हिन्दू धर्म में बहुत लाभ बताया गया।

गोवर्धन पूजा का हिन्दुओ में अलग ही महत्व है। इस दिन 56 भोग का प्रसाद चढ़ाना बहुत शुभ और लाभदायी माना गया।

सच्चे मन से भगवान की पूजा करने से भक्तों को मनचाहा फल प्राप्त होता है तथा उनकी समस्त मनोकामनाएँ भी पूर्ण होती है।

क्यों है जरूरी गोवर्धन की परिक्रमा करना ?

गोवर्धन की परिक्रमा करना भी उतना ही आवश्यक है जितना की उसकी पूजा करना है। गोवर्धन की परिक्रमा के बारे में श्रीमद्भगवद्गीता में भी कहा गया है कि भगवान श्री कृष्ण ने सभी ब्रज के लोगो को गोवर्धन की पूजा करने के लिए भी कहा था।

मान्यता है की भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी इस पर्वत में आज भी भ्रमण करती है। इसके परिक्रमा करने का यही अर्थ है कि राधा कृष्ण के दर्शन करना।

गोवर्धन पूजा 2024

पूर्णिमा की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन लाखों भक्त गिरिराज जी यानी गोवर्धन की परिक्रमा करने जाते है। मान्यता है कि ऐसा करने से राधा कृष्ण की असीम कृपा प्राप्त होती है।

यह परिक्रमा 7 कोस यानी लगभग 21 किलोमीटर की है। जो भी इस परिक्रमा को पूर्ण करता है। उसे राधा कृष्ण का आशीर्वाद मिलता है और उसकी सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है।

गोवर्धन पूजा का महत्व

जब बृज के लोग वर्षा प्राप्ति के लिए यज्ञ /हवन करते थे ताकि इंद्र देव उनसे प्रसन्न होकर उनकी वर्षा के जल की जरूरत को पूरा करे। ऐसा कई वर्षो से होता आ रहा परन्तु इस बार भगवान श्री कृष्ण जो की भगवान विष्णु के अवतार हैं।

उन्होंने ब्रजवासियों को गोवर्धन पर्वत की महिमा बताते हुए इंद्र देव के बजाए गोवर्धन की पूजा करने के लिए प्रेरित किया और लोगों ने उनकी बात भी मान ली थी किन्तु इस वजह से इंद्र देव भगवान विष्णु के अवतार से बेखबर बृजवासी पर क्रोधित हो गए।

पुराणों में कहा गया है कि जब भगवान इंद्र ने श्री कृष्ण पर क्रोध के कारण बृज धाम में काफी मूसलाधार वर्षा की थी तब भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन को अपनी कनिष्ठा अंगुली से उठाया था जिसके नीचे सभी ब्रजवासियों के साथ – साथ वहां के पशुओं ने भी शरण ली थी।

इंद्र देव ने लगभग 7 दिनों तक भयंकर वर्षा की थी किन्तु गोवर्धन के नीचे सभी सुरक्षित थे। उसी दिन से गोवर्धन पर्वत के साथ ही गायों की भी पूजा की जाती है। इस दिन गायों की पूजा करना काफी शुभ माना गया है।

सनातन धर्म में गोवर्धन पूजा 2025 बहुत महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस दिन सभी हिन्दू धर्म के लोग गौ माता को नहला कर उनका श्रृंगार करते है और गौ माता की पूजा करते है।

यह पूजा देश के हर कोने में होती है। कई जगहों पर इस पूजा को घर के सुख और समृद्धि के लिए भी करते है। इस दिन श्री कृष्ण की पूजा की जाती है और उनसे घर में सुख शान्ति की कामना की जाती है।

गोवर्धन पर्वत की कहानी से सीखने वाली बातें  

गोवर्धन पर्वत की कहानी से हमे काफी बातें सिखने को मिलती है जैसे कि उस समय श्री कृष्ण ने इंद्र देव के घमंड को तोड़ने के लिए ही ये पूर्ण लीला रची थी।

ये बिलकुल सत्य बात है कि जल मनुष्य जीवन काफी ज्यादा महत्वपूर्ण होता है लेकिन अपने बल के प्रदर्शन मात्र के लिए किसी को भी कमज़ोर व्यक्ति को परेशान करना गलत बात है।

इसलिए भगवान ने इंद्र देव का घमंड तोडा। इससे हमे दो बातें सीखनी चाहिए। पहली यही की कभी भी अपनी ताकत दिखाने के लिए किसी भी कमज़ोर मनुष्य को परेशान करना गलत है जैसा कि इंद्र देव ने किया था और दूसरी बात ये की हमेशा ही दुसरो की मदद के तैयार रहना चाहिए जैसे कि गोवर्धन पर्वत ने की।

निष्कर्ष

हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से गोवर्धन पूजा 2025 के संबंधित सारी जानकारी उपलब्ध करवा दी है।

इसके अलावा भी अगर आप किसी और पूजा के बारे में जानकारी लेना चाहते है है। तो आप हमारी वेबसाइट पर जाकर सभी तरह की पूजा या त्योहारों के बारे में सम्पूर्ण ज्ञान ले सकते है।

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