Purnabrahma Stotram in Sanskrit: पूर्णब्रह्म स्तोत्रम् अर्थ सहित
पूर्णब्रह्म स्तोत्रम् भगवान जगन्नाथ अर्थार्थ जग के नाथ को समर्पित एक मधुर और सुंदर भजन है। भगवान जगन्नाथ, जो पूर्णब्रह्म…
माँ काली चालीसा (Kali Chalisa) का पाठ करने से भक्तों को काली माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है| काली चालीसा (Kali Chalisa) का पाठ घर में सुख शांति बनाए रखने के लिए किया जाता है| इस काली चालीसा (Kali Chalisa) का जाप माँ काली को प्रसन्न करने के लिए प्रतिदिन भी किया जाता है|
अधिकांश काली माता की पूजा दीपावली के समय मुख्य राज्य – कोलकाता, पश्चिम बंगाल, असम, झारखण्ड और उड़ीसा में अमावस्या के दिन की जाती है| इस दिन काली माँ की पूजा करने के पश्चात काली चालीसा (Kali Chalisa) तथा काली माता की आरती का जाप करना बहुत ही लाभकारी माना गया है तो जानते है माँ काली चालीसा (Kali Chalisa) के लिरिक्स के बारे में|
इसके आलवा यदि आप ऑनलाइन किसी भी पूजा जैसे अंगारक दोष पूजा (Angarak Dosh Puja), मैरिज पूजा (Marriage Puja), तथा गृह प्रवेश पूजा (Griha Pravesh Puja) के लिए आप हमारी वेबसाइट 99Pandit की सहायता से ऑनलाइन पंडित बहुत आसानी से बुक कर सकते है|
यहाँ बुकिंग प्रक्रिया बहुत ही आसान है| बस आपको “Book a Pandit” विकल्प का चुनाव करना होगा और अपनी सामान्य जानकारी जैसे कि अपना नाम, मेल, पूजा स्थान, समय,और पूजा का चयन के माध्यम से आप अपना पंडित बुक कर सकेंगे|
|| काली चालीसा ||
॥दोहा॥
जयकाली कलिमलहरण,
महिमा अगम अपार ।
महिष मर्दिनी कालिका,
देहु अभय अपार ॥
॥ चौपाई ॥
अरि मद मान मिटावन हारी ।
मुण्डमाल गल सोहत प्यारी ॥
अष्टभुजी सुखदायक माता ।
दुष्टदलन जग में विख्याता ॥
भाल विशाल मुकुट छवि छाजै ।
कर में शीश शत्रु का साजै ॥
दूजे हाथ लिए मधु प्याला ।
हाथ तीसरे सोहत भाला ॥
चौथे खप्पर खड्ग कर पांचे ।
छठे त्रिशूल शत्रु बल जांचे ॥
सप्तम करदमकत असि प्यारी ।
शोभा अद्भुत मात तुम्हारी ॥
अष्टम कर भक्तन वर दाता ।
जग मनहरण रूप ये माता ॥
भक्तन में अनुरक्त भवानी ।
निशदिन रटें ॠषी-मुनि ज्ञानी ॥
महशक्ति अति प्रबल पुनीता ।
तू ही काली तू ही सीता ॥
पतित तारिणी हे जग पालक ।
कल्याणी पापी कुल घालक ॥
शेष सुरेश न पावत पारा ।
गौरी रूप धर्यो इक बारा ॥
तुम समान दाता नहिं दूजा ।
विधिवत करें भक्तजन पूजा ॥
रूप भयंकर जब तुम धारा ।
दुष्टदलन कीन्हेहु संहारा ॥
नाम अनेकन मात तुम्हारे ।
भक्तजनों के संकट टारे ॥
कलि के कष्ट कलेशन हरनी ।
भव भय मोचन मंगल करनी ॥
महिमा अगम वेद यश गावैं ।
नारद शारद पार न पावैं ॥
भू पर भार बढ्यौ जब भारी ।
तब तब तुम प्रकटीं महतारी ॥
आदि अनादि अभय वरदाता ।
विश्वविदित भव संकट त्राता ॥
कुसमय नाम तुम्हारौ लीन्हा ।
उसको सदा अभय वर दीन्हा ॥
ध्यान धरें श्रुति शेष सुरेशा ।
काल रूप लखि तुमरो भेषा ॥
कलुआ भैंरों संग तुम्हारे ।
अरि हित रूप भयानक धारे ॥
सेवक लांगुर रहत अगारी ।
चौसठ जोगन आज्ञाकारी ॥
त्रेता में रघुवर हित आई ।
दशकंधर की सैन नसाई ॥
खेला रण का खेल निराला ।
भरा मांस-मज्जा से प्याला ॥
रौद्र रूप लखि दानव भागे ।
कियौ गवन भवन निज त्यागे ॥
तब ऐसौ तामस चढ़ आयो ।
स्वजन विजन को भेद भुलायो ॥
ये बालक लखि शंकर आए ।
राह रोक चरनन में धाए ॥
तब मुख जीभ निकर जो आई ।
यही रूप प्रचलित है माई ॥
बाढ्यो महिषासुर मद भारी ।
पीड़ित किए सकल नर-नारी ॥
करूण पुकार सुनी भक्तन की ।
पीर मिटावन हित जन-जन की ॥
तब प्रगटी निज सैन समेता ।
नाम पड़ा मां महिष विजेता ॥
शुंभ निशुंभ हने छन माहीं ।
तुम सम जग दूसर कोउ नाहीं ॥
मान मथनहारी खल दल के ।
सदा सहायक भक्त विकल के ॥
दीन विहीन करैं नित सेवा ।
पावैं मनवांछित फल मेवा ॥
संकट में जो सुमिरन करहीं ।
उनके कष्ट मातु तुम हरहीं ॥
प्रेम सहित जो कीरति गावैं ।
भव बन्धन सों मुक्ती पावैं ॥
काली चालीसा जो पढ़हीं ।
स्वर्गलोक बिनु बंधन चढ़हीं ॥
दया दृष्टि हेरौ जगदम्बा ।
केहि कारण मां कियौ विलम्बा ॥
करहु मातु भक्तन रखवाली ।
जयति जयति काली कंकाली ॥
सेवक दीन अनाथ अनारी ।
भक्तिभाव युति शरण तुम्हारी ॥
॥दोहा॥
प्रेम सहित जो करे,
काली चालीसा पाठ ।
तिनकी पूरन कामना,
होय सकल जग ठाठ ॥
|| Kali Chalisa ||
॥ Doha ॥
Jayakali Kalimalharan,
Mahima agam apaar.
Mahish mardini KaliKa,
Dehu abhay apaar॥
॥ Chaupai ॥
Ari mad maan mitavan haari.
Mundmaal gal sohat pyaari॥
Ashtabhujee sukhadaayak maata.
Dushtdaln jag mein vikhyata॥
Bhaal vishaal mukut chhav chhajai.
Kar mein sheesh shatru ka sajai॥
Dooje haath liye madhu pyaala.
Haath teesre sohat bhaala॥
Chauthe khappar khadag kar paanche.
Chhathe trishool shatru bal jaanche॥
Saptam karadamkat asi pyaari.
Shobha adbhut maat tumhaari॥
Ashtam kar bhaktan var daata.
Jag manharan roop ye maata॥
Bhaktan mein anurakt bhawani.
Nishadin raten rishi-muni gyaani॥
Mahashakti ati prabal punieta.
Tu hi Kali, tu hi Seeta॥
Patit taarinee, hey jag paalak.
Kalyaani paapi kul ghaalak॥
Shesh suresh na paavat paar.
Gauri roop Dharyo ik baara॥
Tum samaan daata nahin dooja.
Vidhivat karen bhaktajan pooja॥
Roop bhayankar jab tum dhaara.
Dushtdalan keenhehu samhaara॥
Naam anekan maat tumhaare.
Bhaktajon ke sankat taare॥
Kali ke kasht kaleshan harani.
Bhav bhay mochan mangal karani॥
Mahima agam ved yash gaavain.
Narad Shaarad paar na paavain॥
Bhoo par bhaar badhyau jab bhaari.
Tab tab tum prakateen mahataari॥
Aadi anaadi abhay vardaata.
Vishvavidit bhav sankat traata॥
Kusamay naam tumhaaro leenha.
Usko sada abhay var deenha॥
Dhyaan Dharen shruti shesh suresha.
Kaala roop lakhi tumaro bhesh॥
Kalua bhainron sang tumhaare.
Ari hit roop bhayaanak dhaare॥
Sevak laangur rahta agaari.
Chausath jogna aajnyaakaari॥
Treta mein Raghuvir hit Aayi.
Dashakandhar ki sain nasaai॥
Khela ran ka khel niraala.
Bhara maans-majja se pyaala॥
Roudra roop lakhi daanav bhaage.
Kiyau gavan bhavan nij tyage॥
Tab aisau taamas chhad aayo.
Swajan vijan ko bhed bhulaayo॥
Ye balak lakhi Shankar aaye.
Raah rok charanan mein dhaaye॥
Tab mukh jeebh nikar jo aayi.
Yahi roop prachalit hai maai॥
Baadhyo Mahishasur mad Bhaari.
Peedit kiye sakal nar-naari॥
Karun pukaar suni bhakton ki.
Peer mitaavan hit jan-jan ki॥
Tab pragati nij sain sameta.
Naam pada maan Mahish vijeta॥
Shumbh Nishumbh hane chhan maahi.
Tum sam jag doosar kou naahi॥
Maan mathanhaari khal dal ke.
Sada sahaayak bhakt vikal ke॥
Deen viheen karain nit seva.
Paavain manvanchhit phal meva॥
Sankat mein jo sumiran karahi.
Unke kasht maatu tum harahi॥
Prem sahit jo keerati gaavain.
Bhav bandhan so mukti paavain॥
Kali chalisa jo padhahi.
Swargalok binu bandhan chadhahi॥
Daya drishti heru jagadamba.
Kehi kaaran maan kiyo vilambha॥
Karahu maatu bhaktan rakhwali.
Jayati jayati Kali Kankaali॥
Sevak deen anaath anaari.
Bhaktibhav yuti sharan tumhaari॥
॥ Doha ॥
Prem sahit jo kare,
Kali chalisa path.
Tin ki pooran kaamna,
Hoye sakal jag thaat॥
Table Of Content