Sabarimala Temple: Timings, History & Online Ticket Bookings
Sabarimala Temple is one of the oldest pilgrim centres in India. The Sabarimala Temple sits in the Western Ghats mountain…
भगवान शनि देव को समर्पित यह शनि शिंगणापुर मंदिर (Shani Shingnapur Temple) का मंदिर सम्पूर्ण अहमदनगर जिले का सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर माना गया है| शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur) गाँव में माना जाता है कि इस स्थान पर भगवान शनि देव एक काले पत्थर के रूप में निवास करते है|
शनि शिंगणापुर मंदिर में शनि देव का यह मंदिर प्रत्येक वर्ष हजारों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है| यहाँ पर रहने वाले लोगों में भगवान शनि देव के प्रति बहुत अटूट आस्था है| यहाँ के लोग शनि देव पर इतना अटूट विश्वास करते है कि इस गाँव में कोई भी व्यक्ति अपने घर पर ताला नहीं लगाता है|
इस गाँव के लोगों का यह मानना है कि भगवान शनि देव उनके घर की स्वयं ही रक्षा करते है| उस गाँव में कभी भी चोरी नहीं होती है| माना जाता है कि जो भी चोर शनि शिंगणापुर गांव में चोरी करता है तो भगवान शनि देव उसे स्वयं ही दंड देते है|
शनि शिंगणापुर मंदिर के लोग अमावस्या, शनिवार तथा श्री शनैश्चर जयंती जैसे शुभ अवसरों को बहुत ही खुशहाली तथा पूर्ण उत्साह के साथ आयोजित करते है| आपकी जानकारी के लिए बता दे कि शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur Temple) में भगवान शनि देव के मंदिर में महिलाओं का जाना वर्जित माना जाता है|
भगवान शनि देव उस व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार के कष्टों को दूर कर देते है| इसके अलावा हम आपको बता दे कि आप अपने घर में भी नवग्रह शांति पूजा के लिए पूजा कर सकते है| इस पूजा के लिए आप 99Pandit for User एप या वेबसाइट से ऑनलाइन पंडित जी बुक कर सकते है|
यह मंदिर पूर्ण रूप से भगवान शनि देव को समर्पित किया गया है| शनि शिंगणापुर का यह प्राचीन स्थान सम्पूर्ण भारत देश तथा हिन्दू धर्म के सबसे प्रमुख स्थानों में से एक माना जाता है| भगवान शनि देव का यह पवित्र स्थान महाराष्ट्र में स्थित शिरडी से लगभग 70 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है|
माना जाता है कि शिरडी से शनि शिंगणापुर मंदिर तक जाना बहुत ही आसन है| ऐसा इसलिए है क्योंकि शिरडी में साईं बाबा के आश्रम से सुबह 4 बजे से ही शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur) के लिए निजी बसे, टैक्सी, रिक्शा आदि वाहन तैयार रहते है|
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जिनमे से शेयरिंग गाडी प्रत्येक व्यक्ति के 120 रू लेता है| इसके अलावा ऑटो 250 रू. प्रति सवारी तथा टेम्पो वाले 100 रू. प्रति व्यक्ति के हिसाब से पैसे लेते है| आगे इस लेख के माद्यम से हम आपको बतायेंगे कि आप तीनों मार्ग (वायु, ट्रेन तथा सड़क) से किस प्रकार शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur) तक पहुँच सकते है|
शनि शिंगणापुर वायु मार्ग से जाने के लिए आपको अपने शहर से ,शनि शिंगणापुर से 80 से 82 किमी दूर स्थित शिरडी हवाई अड्डे के लिए एक फ्लाइट लेनी होगी| जो कि शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur) से सबसे नजदीक है तथा लगभग सभी शहरों से शिरडी हवाई अड्डे के लिए फ्लाइट्स बहुत ही आसानी से मिल जाती है|
यदि किसी कारणवश आपको शिरडी के लिए फ्लाइट ना मिले तो आप शनि शिंगणापुर के 90 किमी. दूर औरंगाबाद के एयरपोर्ट पर या 144 किमी. दूर नासिक हवाई अड्डे पर भी जा सकते है| इसके पश्चात आपको हवाई अड्डे से निजी बसे तथा टैक्सी की सुविधा मिल जाएगी| जिसके द्वारा आप शनि शिंगणापुर तक आसानी से जा सकते है|
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि वर्तमान के समय शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur) में रेलवे स्टेशन की सुविधा नहीं है| इस वजह से यदि आप ट्रेन के द्वारा शनि शिंगणापुर जाना चाहते है तो आपको यह पहुँचने के लिए राहुरी रेलवे स्टेशन, जो कि शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur) से 32 किमी.दूर है|
इसके अलावा अहमदनगर 35 किमी. दूर, श्रीरामपुर 54 किमी. दूर तथा शिरडी रेलवे स्टेशन शनि शिंगणापुर से लगभग 85 किमी. की दूरी पर स्थित है| इन सभी स्टेशनों की रेलवे लाइन लगभग सभी शहरों से जुड़ी हुई है| इनमे से किसी भी स्टेशन पर पहुंच कर आपको शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur) के लिए टैक्सी या बहुत सारे अन्य साधन मिल जाएंगे|
भगवान शनि देव के निवास स्थान शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur) का रास्ता भारत देश के लगभग सभी शहरों से जुड़ा हुआ है| इसलिए आपको महाराष्ट्र तथा इसके आस – पास के राज्यों से आपको एसी तथा नॉन एसी बसों की सुविधा मिल जाएगी|
जिससे आप सुबह जल्दी शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur) में जाकर भगवान शनि देव के दर्शन कर सकते है| शनि शिंगणापुर के पास में ही शिरडी भी आता है| जहाँ पर साईं बाबा का मंदिर है| आप इस मंदिर के भी दर्शन कर सकते है और शाम उसी बस से आप पुनः अपने शहर वापिस लौट सकते है|
आपको बता दे कि शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur) जाने का कोई निर्धारित समय नहीं बताया गया है| माना जाता है कि शनि शिंगणापुर मंदिर में भगवान शनि देव के दर्शन करने के लिए सभी लोग मौसम के अनुसार जाते है| यहाँ जाने के लिए सबसे अच्छा समय सितंबर से मार्च महीने के मध्य में माना जाता है|
गर्मी के समय में शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur) का तापमान 40 से 44 डिग्री तक चला जाता है और बारिश के समय यहां तक आने वाले रास्तों में नदी-नाले उफान मारते है| जिस वजह से लोगों को आने जाने में बहुत समस्या होती है|
इसलिए सितम्बर से मार्च के बीच का समय शनि शिंगणापुर जाने के लिए बहुत अच्छा समय बताया गया है क्योंकि इस समय ना तो ज्यादा गर्मी होती है और ना ही अधिक बारिश| शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur) में दुसरे दिनों की अपेक्षा छुट्टी वाले दिन तथा प्रत्येक शनिवार को बहुत ही अधिक भीड़ देखने को मिलती है|
इसके अलावा हम बात करे कि यदि आप को शनि शिंगणापुर में ठहरने की सुविधा चाहिए तो आपको बता दे शनि शिंगणापुर में देवस्थान की तरफ से श्रद्धालुओं के लिए यहाँ रहने की व्यवस्था कर रखी है| शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur) में रहने के साथ साथ भोजन की व्यवस्था भी जाती है| भोजन करने के लिए आपको टोकन की आवश्यकता भी होगी|
एक प्राचीन कथा के अनुसार बताया गया है कि आज के समय से लगभग 400 साल पहले शनि शिंगणापुर में बहुत ही भयानक वर्षा का प्रकोप छाया हुआ था| उस समय वर्षा इतनी तेजी से हो रही थी कि कुछ ही समय में वहां पर बाढ़ आ गयी थी| माना जाता है कि इस तेज बारिश में एक श्याम वर्णीय पाषण शिला बेर के वृक्ष में अटक गयी|
इसके पश्चात जब बारिश रुकी, उस समय वहां से जा रहे एक चरवाहे उस शिला को देखा| जिसके बाद में उसने अपने लड़कों को भी वहां बुलाया| जब चरवाहे ने उन लड़को के साथ मिलकर उस शिला को खुरेदने की कोशिश की तो उन्होंने देखा कि उस पाषण शिला में घाव हो गया तथा उस घाव में से रक्त भी बह रहा था|
जिससे वह लोग घबरा गए तथा सभी गाँव वालो को इस बात से अवगत करवाया| जिसके पश्चात सम्पूर्ण गाँव के लोग उस शिला को देखने के लिए पहुचे तथा उसे हैरान हो गए| कुछ समय बाद सभी अपने – अपने घर चले गए| तब शनिदेव ने एक व्यक्ति के सपने में आकर अपने प्रकट होने बारे में सभी बातें बता दी|
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अगले दिन उस व्यक्ति ने भी सभी गाँव वालो पूर्ण बात बता दी और सभी लोग उस शिला को गाँव में स्थापित करने के लिए उसे लेने के लिए गए , किन्तु वह शिला किसी भी व्यक्ति से नहीं उठी| फिर उस व्यक्ति सपना आया तो शनि देव ने उससे कहा कि मुझे सिर्फ वही लोग उठा सकते है, जिनका सम्बन्ध मामा – भांजे का हो|
इसके पश्चात शिला को उठाते समय उस भक्त ने अपने मन में ही उस प्रतिमा रूपी शिला को अपने खेत में रखे बारे सोचा| उसके ऐसा सोचने की वजह से वह शिला वहां से नहीं हिली अर्थात उसी स्थान पर फिर से स्थिर हो गयी| कुछ समय के पश्चात गाँव में एक स्थान पर हलचल हुई|
गाँव के लोगों ने इसे भगवान शनि देव का ही कोई इशारा मान कर उस शिला रूपी प्रतिमा को उसी स्थान पर स्थापित कर दिया जहाँ पर हलचल हुई थी| इसके बाद भगवान शनि देव की कृपा से एक व्यक्ति को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई तो वह इस ख़ुशी में उस प्रतिमा के चारों ओर चबूतरे का निर्माण भी करवाया| इसलिए कहा जाता है कि शनि देव यह शिला जितनी बाहर है, उतनी ही अन्दर है|
आपको बता दे कि शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur) मंदिर दर्शन हेतु सभी श्रद्धालुओं के 24 घंटे ही खुला रहता है| ताकि शनि देव के भक्त उनके दर्शन कभी भी कर सके| आप कभी भी शनि शिंगणापुर में भगवान शनि देव के दर्शन कर सकते है| इसी के साथ आपको एक चीज़ के बारे में सचेत कर दे कि अब यहाँ पर बहुत सारी प्रसाद की दुकाने बन गयी|
जहाँ से यदि आप प्रसाद खरीदते है तो आपको प्रसाद की एक टोकरी हाथ पकड़कर तथा कुछ मंत्र पढ़कर उस प्रसाद के आपसे 500 रू. ले लिए जाएँगे| इस स्थान पर आपको थोडा सा तेल भी बहुत महंगा दिया जाएगा तो इस संदर्भ में हम आपको यही सलाह देंगे कि भगवान शनि देव को चढ़ाने के लिए तेल एवं प्रसाद शिंगणापुर से पहले ही खरीद ले|
इसके पश्चात जब आप भगवान शनि शनि देव के दर्शन के लिए जब आप मन्दिर की लाइन में लगते है तो उस समय आपको अपने मन में ॐ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जप करते रहिये| इसी प्रकार लाइन में धीरे – धीरे आगे बढ़ते हुए आपको खुले आसमान तथा चारों ओर चबूतरे से घिरे हुए शनि देव जी पाषण प्रतिमा के दर्शन होंगे|
भगवान शनि देव की यह प्रतिमा लगभग 5 फीट 9 इंच ऊँची तथा 1 फीट 6 इंच चौड़ी मानी जाती है| इस मंदिर की एक विशेष बात यह है कि इस मंदिर में दुसरे मंदिरों की भांति दिवार या छत नहीं है| हमारे द्वारा तेल रिफाइन होकर प्रतिमा के ऊपर लगे हुए तांबे के पात्र की सहायता से प्रतिमा के उप्पेर बूंद – बूंद करके चढ़ता रहता है|
आपको बता दे कि इस मंदिर में भगवान शनि के साथ – साथ भगवान शंकर, नंदी महाराज तथा हनुमान जी की भी प्रतिमा लगी हुई है| माना जाता है कि सबसे पहले व्यक्ति को भगवान शनि देव की पूजा करनी चाहिए|
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जिससे की व्यक्ति के जीवन कभी शनि देव की साढ़े साती ना लागे तथा इनके जीवन में किसी भी प्रकार की कोई भी समस्या नहीं आ पाए| इसके पश्चात हनुमान जी की पूजा करे| माना जाता है कि भगवान शनि देव और हनुमान जी की साथ में पूजा से भक्तों को पुण्य की प्राप्ति होती है|
जैसा कि आपको पता ही होगा कि पिछले 400 वर्षों से शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur) मंदिर में महिलाओं के जाने पर रोक लगा रखी थी| लेकिन 7 साल पहले महिलाओं के द्वारा किये गए विरोध के कारण 8 अप्रैल 2016 को अदालत के आदेश की वजह से मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति मिल गयी|
आज हमने इस आर्टिकल के माध्यम से शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur) मंदिर के बारें में काफी बाते जानी है| आज हमने शनि शिंगणापुर पूजन के फ़ायदों के बारे में भी जाना तथा वहां तक जाने के लिए साधनों के बारे में भी बात की|
हम उम्मीद करते है कि हमारे द्वारा बताई गयी जानकारी से आपको कोई ना कोई मदद मिली होगी| इसके अलावा भी अगर आप किसी और पूजा के बारे में जानकारी लेना चाहते है। तो आप हमारी वेबसाइट 99Pandit पर जाकर सभी तरह की पूजा या त्योहारों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी ले सकते है|
यदि आप हिन्दू धर्म से सम्बंधित किसी पूजा जैसे – वाहन पूजा, भूमि पूजा इत्यादि हेतु पंडित जी की तलाश कर रहे है तो आपको बता दे की 99Pandit पंडित बुकिंग की सर्वश्रेष्ठ सेवा है जहाँ आप घर बैठे मुहूर्त के हिसाब से अपना पंडित ऑनलाइन आसानी से बुक कर सकते हो|
यहाँ बुकिंग प्रक्रिया बहुत ही आसान है| बस आपको “Book a Pandit” विकल्प का चुनाव करना होगा और अपनी सामान्य जानकारी जैसे कि अपना नाम, मेल, पूजन स्थान , समय,और पूजा का चयन के माध्यम से आप अपना पंडित बुक कर सकेंगे|
Q.शनि शिंगणापुर मंदिर कब जाना चाहिए ?
A.मान्यताओं के अनुसार शनि शिंगणापुर प्रत्येक शनिवार या फिर शनिवार को आने वाली अमावस्या के दिन जाना चाहिए|
Q.क्या शनि शिंगणापुर में दर्शन की अनुमति है ?
A.इस मंदिर के अन्दर केवल पुरुषों को जाने की अनुमति है|
Q.शनि शिंगणापुर मंदिर के बारे में क्या खास है ?
A.यहाँ के लोगों का मानना यही है कि इस गाँव की रक्षा स्वयं भगवान शनि देव ही करते है|
Q.शनिवार के दिन शनि मंदिर में क्या चढ़ाना चाहिए ?
A.इस दिन भगवान शनि देव के समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए|
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